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अमेरिका को मिला पहला अश्वेत रक्षा मंत्री, सीनेट ने लॉयड ऑस्टिन ने नाम पर लगाई मुहर

अमेरिकी सीनेट ने जनरल लॉयड ऑस्टिन को देश के पहले अश्वेत रक्षा मंत्री के रूप मंजूरी दे दी है। वह अफ्रीकी मूल के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं जो इस पद पर पहुंचे हैं। ऑस्टिन वर्ष 2016 में सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 11:50 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 11:50 AM (IST)
अमेरिका को मिला पहला अश्वेत रक्षा मंत्री, सीनेट ने लॉयड ऑस्टिन ने नाम पर लगाई मुहर
लॉयड ऑस्टिन के नाम पर अमेरिकी संसद ने मुहर लगा दी है।

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिका के रक्षा मंत्री के तौर पर नामित किए गए जनरल (सेवानिवृत्त) लॉयड ऑस्टिन के नाम पर सीनेट ने मुहर लगा दी है। जिसके बाद से ऑस्टिन पहले अफ्रीकी अमेरिकी रक्षा मंत्री बन गए हैं। सीनेट में ऑस्टिन के पक्ष में 93 वोट पड़े, जबकि 2 वोट विरोध में पड़े। इसके तुरंत बाद उन्हें वाशिंगटन हेडक्वॉटर्स सर्विसेज के कार्यवाहक निदेशक टॉम मुइर ने उन्हे शपथ दिलाई और फिर खुफिया सूचनाओं से अवगत करवाया गया।

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उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अगले सप्ताह ऑस्टिन को औपचारिक रूप से शपथ दिलाएंगी। राष्ट्रपति जो बाइडन ने ऑस्टिन के नाम पर मुहर लगाने के लिए प्रतिनिधि और सीनेट को धन्यवाद दिया। इसके बाद ऑस्टिन ने ट्वीट किया, 'देश के 28वें रक्षा मंत्री के रूप में सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं विशेष रूप से इस पद को मंभालने वाले पहले अफ्रीकी अमेरिकी होने पर गर्व महसूस कर रहा। चलिए काम शुरू करते हैं।

बता दें कि अमेरिका में नियम है कि कोई भी सैन्य अधिकारी सेवानिवृत्ति के सात वर्षो तक रक्षा मंत्री नहीं बन सकता है। अगर सरकार को इस पद पर नियुक्ति करनी है तो उसके लिए संसद के दोनों सदनों (प्रतिनिधि सभा और सीनेट) से मंजूरी की आवश्यकता होती है। ऑस्टिन वर्ष 2016 में सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

यह तीसरी बार है जब संसद ने इस तरह की छूट दी है। चार वर्ष पहले जनवरी 2017 में जब राष्ट्रपति ट्रंप ने रिटायर्ड मरीन कॉ‌र्प्स जनरल जिम मैटिस को अपना पहला रक्षा मंत्री बनाने का फैसला किया था तब भी संसद की मंजूरी की आवश्यकता पड़ी थी।

भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर लॉयड ऑस्टिन का कहना है कि बाइडन प्रशासन का लक्ष्य भारत के साथ अमेरिका की सैन्य साझेदारी को और मजबूत करना है। उनका मानना है कि भारत विरोधी आतंकी समूहों (जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा) पर पाकिस्तान द्वारा की गई कार्रवाई अधूरी है। पाकिस्तान की जमीन पर आतंकियों को पनाह नहीं मिले, इसके लिए भी पाकिस्तान पर दबाव बनाया जाएगा।


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