समुद्र नहीं, तालाब में हुई जिंदगी की शुरुआत, क्या कहता है अध्ययन, जानें
अब तक समुद्र में नाइट्रोजन के ऑक्साइड जमा होने को माना जाता है जीवन के उद्गम का कारण। अब वैज्ञानिकों ने कहा - तालाब में जीवन पनपने के लायक परिस्थितियां बनना ज्यादा आसान।
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कब और कैसे हुई, यह हमेशा से जिज्ञासा का विषय रहा है। वैज्ञानिकों ने इसको लेकर कई सिद्धांत भी दिए हैं। सामान्य धारणा है कि जीवन सबसे पहले समुद्र में पनपा होगा। वहीं से धीरे-धीरे विकास होता रहा और पृथ्वी बसती गई। अब एक अध्ययन में इस धारणा को चुनौती दी गई है। विज्ञान पत्रिका 'जियोकेमिस्ट्री, जियोफिजिक्स, जियोसिस्टम्स' में प्रकाशित अध्ययन में दावा किया गया है कि जीवन के अनुकूल परिस्थितियां सर्वप्रथम समुद्र में नहीं बल्कि किसी तालाब में बनी होंगी।
माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत में नाइट्रोजन की अहम भूमिका रही होगी। नए अध्ययन में कहा गया है कि इस सिद्धांत को मानते हुए पानी के छिछले स्रोतों में जीवन पनपने की संभावना ज्यादा है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के शोधकर्ता सुकृत रंजन ने कहा, 'हमारा कहना यही है कि अगर आप मानते हैं कि जीवन की शुरुआत होने में नाइट्रोजन की भूमिका थी, तो यह मुश्किल है कि जीवन किसी समुद्र में पनपा होगा। इस सिद्धांत के आधार पर किसी तालाब में जीवन शुरू होना ज्यादा आसान है।'
कैसे पनपा जीवन?
वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी के वातावरण में व्याप्त नाइट्रोजन के टूटने से अवशेष के रूप में नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्साइड जलस्रोतों में जमा हो गए। यही ऑक्साइड आगे चलकर समुद्र में जीवन की शुरुआत का कारण बने। नए अध्ययन में इस अवधारणा को खारिज किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सूर्य की पराबैंगनी किरणों व समुद्री चट्टानों में व्याप्त लोहे के कारण वहां जमा हुए नाइट्रोजन के ऑक्साइड फिर विघटित हुए होंगे और नाइट्रोजन गैस वापस वातावरण में चली गई होगी। ऐसे में समुद्र में नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्साइड की इतनी अधिक मात्रा नहीं बची होगी कि जीवन पनप सके।
तालाब में ज्यादा संभावना
वहीं छिछले तालाबों में स्थिति इसके उलट रही होगी। वातावरण के नाइट्रोजन से बनने वाले विभिन्न ऑक्साइड निसंदेह समुद्रों के साथ-साथ छोटे जलस्रोतों जैसे तालाब में भी जमा हुए होंगे। उन तालाबों में ऐसी कोई परिस्थिति बनना या ऐसी क्रिया होना मुश्किल है कि ऑक्साइड टूटने से नाइट्रोजन फिर वातावरण में चली जाए। इसलिए तालाबों में संभवत: नाइट्रोजन के ऑक्साइड की बड़ी मात्रा जमा हुई होगी और वहीं धीरे-धीरे जीवन पनपा होगा।