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युवाओं की तुलना में बुजुर्गों के शरीर में कम बनती है एंटीबॉडी, शोध में किया गया है दावा

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शरीर में एंटीबॉडी के विकास की अहमियत सर्वविदित है। एक रिसर्च ने दावा किया है कि युवाओं की तुलना में बुजुर्गों के शरीर में कम एंटीबॉडी बनते हैं जो एक ब्लड प्रोटीन है और संक्रमण से बचाव करती है।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 04:07 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 04:07 PM (IST)
युवाओं की तुलना में बुजुर्गों के शरीर में  कम बनती है एंटीबॉडी, शोध में किया गया है दावा
बुजुर्गो में कम बन सकती है कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी

वाशिंगटन, एएनआइ। कोरोना संक्रमण से बचाव के क्रम में शरीर में मौजूद एंटीबॉडी का अहम रोल है जो इम्यून सिस्टम बनाता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती  है। अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में किए गए रिसर्च में पता चला है कि ये एंटीबॉडी युवाओं की तुलना में बुजुर्गों के शरीर में कम विकसित होते हैं।  एंटीबाॅडी एक प्रकार का ब्लड प्रोटीन है, जिसकी उत्पत्ति प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) संक्रमण से बचाव के लिए करती है। कोरोना संक्रमण के खिलाफ बचाव में भी इसकी अहमियत जाहिर हुई है। एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए शरीर में इसकी जांच कराई जाती है। इसके लिए ब्लड सैंपल लिया जाता है और इस टेस्ट को सेरोलॉजिकल टेस्ट कहा जाता है।

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वैक्सीनेशन के बावजूद सुरक्षित नहीं हैं बुजुर्ग

कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ एंटीबाॅडी (Antibody) को लेकर किए गए में ऐसा दावा है कि युवाओं की तुलना में बुजुर्गो में कम मात्रा में एटीबाॅडी बन सकती है।अमेरिका की ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (ओएचएसयू) के शोधकर्ताओं के अनुसार, एक नए प्रयोगशाला अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और ओएचएसयू के असिस्टेंट प्रोफेसर फिकाडू टफेस ने कहा, 'टीके के बावजूद हमारे बुजुर्ग कोरोना के नए वैरिएंट के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'बुजुर्ग लोग टीकाकरण के बावजूद सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए इनके साथ रहने वाले लोगों को भी वैक्सीन लगवाने की जरूरत है।'

20 साल की तुलना में 70-80 आयुवर्ग पर हुआ रिसर्च

शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि बुजुर्गों में भले एंटीबाॅडी की कम प्रतिक्रिया पाई गई हो, लेकिन हर उम्र के ज्यादातर लोगों में वैक्सीन न सिर्फ संक्रमण की रोकथाम बल्कि इसे गंभीर होने से रोकने में भी कारगर साबित हुई है। शोधकर्ताओं ने 50 बुजुर्गो और युवाओं को दो समूहों में बांटकर यह अध्ययन किया। वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के दो हफ्ते बाद इन प्रतिभागियों के रक्त नमूनों की जांच की गई। 70 से 82 वर्ष के बुजुर्गो की तुलना में 20 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों में करीब सात गुना अधिक एंटीबाॅडी की प्रतिक्रिया पाई गई। 


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