Move to Jagran APP

पोलिनेशिया में आखिर क्यों बनाई गई थीं मिट्टी की विशाल प्रतिमाएं, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा

रेपा नुई में नक्काशी कर विशाल मानव आकृतियों के बनाने के वजह के बारे में पहली बार वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 09:56 AM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 09:56 AM (IST)
पोलिनेशिया में आखिर क्यों बनाई गई थीं मिट्टी की विशाल प्रतिमाएं, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा
पोलिनेशिया में आखिर क्यों बनाई गई थीं मिट्टी की विशाल प्रतिमाएं, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा

 लॉस एंजिलिस, पीटीआइ। 1250 और 1500 के बीच पूर्वी पोलीनेशिया में ईस्टर द्वीप पर रेपा नुई में नक्काशी कर विशाल मानव आकृतियों के बनाने के वजह के बारे में पहली बार वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर पता लगाया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस विशाल मूर्तियों के बनने के पीछे की वजह यह है कि उस समय के लोग यह सोचते थे कि इन मोनोलिथ (मूर्तियों) से मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी, जिससे फसलों आदि की पैदावार अच्छी होगी।

loksabha election banner

1995 में दिया था विश्व धरोहर का दर्जा

यूनेस्को ने ईस्टर द्वीप को 1995 में विश्व धरोहर का दर्जा दिया था। इस द्वीप के अधिकतर संरक्षित क्षेत्र रेपा नुई नेशनल पार्क में हैं। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ द कैलिफोर्निया लासएंजिलिस (यूसीएलए) के शोधकर्ताओं के अनुसार यह पहला अध्ययन है जो मिट्टी की उर्वरता, कृषि, उत्खनन आदि के बारे में बताता है। इसमें उस साइट की मिट्टी का अध्ययन किया गया है, जहां के पत्थरों से इन मोनोलिथ का निर्माण हुआ।

‘आर्कियोलॉजिकल साइंस’ नामक जर्नल में अध्ययन को प्रकाशित किया गया है। इन मोनोलिथ की खोज पोलीनेशियन आइलैंड के पूर्व में रैनो रराकू नामक जगह पर हुई थी। विश्लेषण करने वाले शोधकर्ताओं ने बताया कि रैनो रराकू आदमकद प्रतिमाओं के अलावा कृषि उत्पादकता के क्षेत्र में भी अग्रणी है। इस अध्ययन के सह लेखक जो ऐनी वैन टिलबर्ग ने कहा कि हमारा अध्ययन मोनोलिथ के बारे में हमारी समझ को और व्यापक करता है।

मिट्टी में सबसे अमीर खनिज

शोधकर्ताओं ने कहा कि रैनो रराकू की मिट्टी के रासायनिक परीक्षण से पता चलता है कि संभवत: इस मिट्टी पर लंबे समय तक सबसे अमीर खनिज मौजूद रहे हैं। अध्ययन के अनुसार बताया गया कि इन लंबी आदमकद प्रतिमाओं को तराशने के दौरान चट्टानों का चूरा फैला उससे वहां की जगह उपजाऊ हो गई। शोधकर्ताओं ने बताया कि यहां की मिट्टी में बड़ी उच्च मात्र में कैल्शियम और फॉस्फोरस पाया गया। मृदा रसायन में उच्च स्तर में वह तत्व पाए गए जो पौधों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।

शोधकर्ताओं ने बताया कि द्वीप पर हर जगह मिट्टी खराब हो रही है, पौधों की बढ़ोतरी में काम आने वाले तत्वों का क्षरण हो रहा है, लेकिन साइट में प्राकृतिक उर्वरक और पोषक तत्वों की एक सही प्रतिक्रिया प्रणाली थी। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि रापा नुई के प्राचीन लोग कृषि करने में बहुत होशियार थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.