जानिए क्यों शीर्ष अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता राजनयिक भी पीएम मोदी के बयान से हुए प्रोत्साहित
ब्राउनबैक ने यह भी कहा कि भारत में हमने कोविड-19 से संबंधित दुर्भाग्यपूर्ण बयानबाजी और उत्पीड़न की रिपोर्टे देखी हैं विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ।
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। भारत की लगातार आलोचना करते रहे धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उन बयानों से 'प्रोत्साहित' हैं जिनमें कोरोना महामारी का सामना करने के लिए लोगों से एकजुट होने का आग्रह किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के राजदूत सैमुअल ब्राउनबैक ने गुरुवार को कहा, 'वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों द्वारा वास्तव में एकजुटता के आग्रह वाले बयानों और प्रधानमंत्री द्वारा यह कहना कि कोविड-19 धर्म, भाषा या सीमाएं नहीं देखता, वास्तव में सच है। इससे हम प्रोत्साहित हैं।'
फर्जी खबरों को सोशल मीडिया के जरिए फैलाया जा रहा है
ब्राउनबैक ने हालांकि यह भी कहा, 'भारत में हमने कोविड-19 से संबंधित दुर्भाग्यपूर्ण बयानबाजी और उत्पीड़न की रिपोर्टे देखी हैं, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ। इन फर्जी खबरों को सोशल मीडिया के जरिये गलत जानकारी साझा कर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता रहा है। कोरोना वायरस फैलाने की बात कह कर मुसलमानों पर हमले किए जाने के भी उदाहरण हैं।' लेकिन कोविड-19 को फैलाने में तब्लीगी जमात की भूमिका के बारे में उन्होंने चुप्पी साधे रखी।
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 अप्रैल को सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था, 'कोविड-19 हमला करने से पहले नस्ल, धर्म, रंग, जाति, पंथ, भाषा या सीमाओं को नहीं देखता। इसके बाद हमारी प्रतिक्रिया और आचरण में एकता और भाईचारे को प्रधानता मिलनी चाहिए। इस बीमारी के खिलाफ हम एकजुट हैं।'
US सीनेटर की 18 सूत्री योजना
वहीं, दूसरी ओर अमेरिका के एक शीर्ष अमेरिकी सीनेटर ने 18 सूत्री योजना का खुलासा किया है। इसमें भारत के साथ अमेरिकी सैन्य संबंधों को आगे बढ़ाने के साथ कोरोना महामारी के लिए चीन सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना शामिल है। सीनेटर थॉम टिलिस ने गुरुवार को अपनी एक विस्तृत 18 सूत्रीय योजना पेश की है।
इसमें कहा गया है कि चीन ने कोरोना वायरस के प्रसार में अहम भूमिका निभाई है। चीन ने दुनिया के समक्ष कोरोना वायरस के बारे में अहम जानकारी को छिपाया है, इसके कारण कोरोना वैश्विक महामारी का रूप अख्तियार कर लिया। चीन को इस झूठ के लिए जवाबदेही तय किया जाना चाहिए।