जानिए WHO को किस-किस मद में दुनियाभर के देशों से मिलती है आर्थिक मदद, कैसे होता है काम
विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए काम करता है। यदि कोई महामारी फैलती है तो वो उसके लिए मिले फंडों से सभी का सहयोग करता है।
जेनेवा। कोरोना वायरस से दुनियाभर के देश परेशान है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी देशों को इस बीमारी से बचने के लिए मदद करता है। जब भी देश में किसी तरह की महामारी फैलती है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन उसके लिए बढ़ चढ़कर मदद करता है। ऐसे मौकों पर दुनियाभर के देश डब्ल्यूएचओ की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखने लगते हैं।
दूरी दुनिया में ऐसे मौकों पर मदद करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन अपने खजाने खोल देता है। इसी तरह से वो ऐसी बीमारियों के जड़ से खत्म करने के लिए संघर्ष करता है। बीमारी के लिए टीके आदि खोजने पर भी लाखों रूपये खर्च करता है जिससे बीमारी दुबारा से न पैदा हो।
डब्ल्यूएचओ का वर्तमान फंडिंग पैटर्न :
2019 की चौथी तिमाही के अनुसार, डब्ल्यूएचओ की फंडिंग में कुल योगदान 5.62 बिलियन डॉलर (करीब 432 अरब 17 करोड़ रुपये) के आसपास था, जिसमें मूल्यांकन योगदान 956 मिलियन डॉलर (73 अरब 50 करोड़ रुपये) का था, स्वैच्छिक योगदान 4.38 बिलियन डॉलर(336 अरब 76 करोड़ रुपये), कोर स्वैच्छिक योगदान 160 मिलियन डॉलर (12 अरब 30 करोड़ रुपये) औरा पीआईपी योगदान 178 मिलियन डॉलर (13 अरब 68 करोड़ रुपये) था।
डब्ल्यूएचओ को दो तरह से धन मिलता है, पहला, एजेंसी का हिस्सा बनने के लिए हर सदस्य को एक रकम चुकानी पड़ती है इसे असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन कहा जाता हैं। इसमें किसी देश को कितनी रकम देनी है यह रकम सदस्य देश की आबादी और उसकी विकास दर पर निर्भर करती है।
वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन (स्वैच्छिक योगदान)
दूसरा है वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन यानि चंदे की राशि। यह धन सरकारें भी देती हैं और चैरिटी संस्थान भी। अमूमन यह राशि किसी ना किसी प्रोजेक्ट के लिए दी जाती है लेकिन अगर कोई देश या संस्था चाहे तो बिना प्रोजेक्ट के भी धन दे सकता है।
अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी करती हैं योगदान:
अगले चार सबसे बड़े दानदाता अंतरराष्ट्रीय संस्थाए हैं। इनमें संयुक्त राष्ट्र कार्यालय मानवीय मामलों के समन्वय के लिए (5.09%), विश्व बैंक (3.42%), रोटरी इंटरनेशनल (3.3%) और यूरोपीय आयोग (3.3%) का योगदान शामिल है। वहीं भारत का कुल योगदान में 0.48 फीसद और चीन का 0.21% योगदान है।
दो साल का बजट
डब्यलूएचओ का बजट दो साल के लिए निर्धारित किया जाता है। 2018-19 का कुल बजट 5.6 अरब डॉलर था। 2020-21 के लिए इसे 4.8 अरब डॉलर बताया गया है। साल 2018-19 के अनुसार डब्ल्यूएचओ को इन देशों ने बजट में इतनी धनराशि का योगदान किया था।
- अमेरिका, असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 23.7 करोड़ डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 65.6 करोड़ डॉलर; कुल- 89.3 करोड़ डॉलर
- बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन- वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन- 53.1 करोड़ डॉलर,
- ब्रिटेन, असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 4.3 करोड़ डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 39.2 करोड़ डॉलर; कुल- 43.5 करोड़ डॉलर
- जीएवीआई अलायंस, वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन- 37.1 करोड़ डॉलर,
- जर्मनी, असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 6.1 करोड़ डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 23.1 करोड़ डॉलर, कुल - 29.2 करोड़ डॉलर
- जापान, असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 9.3 करोड़ डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 12.2 करोड़ डॉलर; कुल - 21.4 करोड़ डॉलर
- यूएनओसीएचए, वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 19.2 करोड़ डॉलर
- रोटरी इंटरनेशनल, वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 14.3 करोड़ डॉलर
- विश्व बैंक, वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 13.3 करोड़ डॉलर
- यूरोपीय आयोग, वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 13.1 करोड़ डॉलर
- नेशनल फिलेंथ्रोपिक ट्रस्ट, वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 10.8 करोड़ डॉलर
- कनाडा, असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 2.8 करोड़ डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 7.3 करोड़ डॉलर; कुल - 10.1 करोड़ डॉलर
- यूएनसीईआरएफ, वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 8.7 करोड़ डॉलर
- नॉर्वे, असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 81 लाख डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 7.8 करोड़ डॉलर; कुल - 8.6 करोड़ डॉलर
- चीन, असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 7.6 करोड़ डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 1 करोड़ डॉलर; कुल - 8.6 करोड़ डॉलर।
अमेरिका और जापान के बाद सबसे बड़ा असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन चीन का ही है। (स्रोत: डब्ल्यूएचओ)