Jagran Explainer: हवाई आइलैंड में दुनिया के सबसे बड़े ज्वालामुखी मौना लोआ में विस्फोट से क्या होगा असर?
अमेरिका के हवाई आईलैंड मौना लोआ में ज्वालामुखी फटना शुरू हो गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी है जो पिछले करीब 40 साल में पहली बार फटा है। इस ज्वालामुखी के लावा हवा में 100 से 200 फीट उछल रहा है। (Photo- AP)
होनोलूलू, एपी। अमेरिका के हवाई आइलैंड के मौना लोआ में ज्वालामुखी फटना शुरू हो गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी है, जो पिछले करीब 40 साल में पहली बार फटा है। इस ज्वालामुखी के लावा हवा में 100 से 200 फीट उछल रहा है। हालांकि मौना लोआ में ज्वालामुखी फटने से अभी नागरिकों के लिए खतरा नहीं है और न ही उन्हें ये जगह खाली करने को कहा गया है। जानकारी के मुताबिक ज्वालामुखी को आबादी वाले क्षेत्रों तक पहुंचने में अभी एक सप्ताह या उससे भी अधिक का समय लग सकता है।
मौना लोआ से लोगों के लिए परेशानी
बता दें कि मौना लोआ में सल्फर डाइआक्साइड और अन्य ज्वालामुखीय गैसें निकल रहा है। जब वे सूर्य की रोशनी से मिलते हैं तो वाष्प, आक्सीजन और धूल के साथ मिलकर स्माग या वोग बनाते हैं। इस कारण से लोग अब थोड़ा सावधानी बरत रहे हैं और घरों के बाहर व्यायाम और अन्य गतिविधियों से बच रहे हैं। क्योंकि ये खतरनाक गैस सांसों के लिए लोगों के अंदर जाएगा, जिससे लोगों को अधिक परेशानी होगी। आखिरी बार यह ज्वालामुखी साल 1984 में फटा था। मालूम हो कि इसका पड़ोसी ज्वालामुखी किलोवेया कहीं ज्यादा सक्रिय है, जो 2021 से लगातार अपना प्रभाव दिखा रहा है।
मौना लोआ ज्वालामुखी का इतिहास
मौना लोआ उन पांच ज्वालामुखियों में शुमार है, जिनसे मिलकर हवाई का बिग आईलैंड बनता है। यह ज्वालामुखी सबसे ऊंचा तो नहीं है, बल्कि सबसे बड़ा जरूर है। साथ ही आईलैंड की जमीन के करीब आधे हिस्से पर इसका फैलाव है। मौना लोआ में पिछली बार 38 साल पहले विस्फोट हुआ था। यहां वर्ष 1843 से ज्वालामुखी फटता रहा है, और यह 34वां विस्फोट है। इस आईलैंड पर ग्रामीणों की आबादी है। यहां मुख्य रूप से मशेवी पाले जाते हैं और काफी की खेती होती है। मौना लोआ समुद्र तल से ऊंची चोटी तक 75,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो दुनिया का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है।
मौना लोआ में कब शुरू हुआ ज्वालामुखी विस्फोट?
बता दें कि मौना लोआ में रविवार को विस्फोट होना शुरू हुआ। ज्वालामुखी फटने से पहले यहां कई भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के बाद ज्वालामुखी का रौद्र रूप दिखने लगा। हवाई ज्वालामुखी वेधशाला के प्रभारी वैज्ञानिक केन होन ने कहा कि उन्हें इस विस्फोट के दौरान ज्वालामुखी के दक्षिण-पश्चिम दरार क्षेत्र पर अतिरिक्त झरोखों के बनने की उम्मीद नहीं है। इसका मतलब है कि पश्चिम के समुदायों को इस बार लावा बहने से बचा लिया जाएगा। मौना लोआ का इतिहास रहा है कि विस्फोट कुछ सप्ताह तक चलता रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसबार भी ज्वालामुखी उसी पैटर्न को फालो करेगा।
माउंट सेंट हेलेंस ज्वालामुखी से मौना लोआ कितना अलग?
जानकारी के अनुसार, मौना लोआ में उठे ज्वालामुखी वाशिंगटन के माउंट सेंट हेलेंस की तरह नहीं है। माउंट हेलेंस में 1980 में उठे ज्वालामुखी में 57 लोगों की मौत हो गई थी। साथ ही इसके राख हवा में 80 हजार फीट तक ऊपर उठे थे और 400 किलोमीटर दूर तक इसकी बारिश हुई थी।
मौना लोआ में हुए विस्फोट से खतरा
बता दें कि मौना लोआ में उठे ज्वालामुखी से आसपास के घरों और खेतों को नुकसान हो सकता है। हालांकि अभी स्पष्ट नहीं है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि लावा का बहाव किस ओर है। अगर इसका बहाव आबादी वाले इलाके की ओर हुआ तो लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकता है। चूंकि मौना लोआ से ज्वालामुखीय गैस निकल रही है, जो लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। इससे लोगों को बचकर रहना होगा।