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अरविंद कृष्णा को ऐसे ही नहीं मिली आइबीएम के नए सीईओ की जिम्‍मेदारी, जानें क्‍या रही हैं उपलब्धियां

अरविंद कृष्णा को दुनिया की दिग्गज आइटी कंपनी इंटरनेशनल बिजनेस मशीन यानी आइबीएम के सीईओ पद की जिम्‍मेदारी ऐसे ही नहीं मिल गई है। जानें क्‍या रही हैं उनकी उपलब्धियां...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 08:29 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 08:29 PM (IST)
अरविंद कृष्णा को ऐसे ही नहीं मिली आइबीएम के नए सीईओ की जिम्‍मेदारी, जानें क्‍या रही हैं उपलब्धियां
अरविंद कृष्णा को ऐसे ही नहीं मिली आइबीएम के नए सीईओ की जिम्‍मेदारी, जानें क्‍या रही हैं उपलब्धियां

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। दुनिया की जानी-मानी कंपनियों की कमान थामने वाले भारतीयों की फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ गया है। दुनिया की दिग्गज आइटी कंपनी इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (आइबीएम) के अरविंद कृष्णा सीईओ नियुक्त हुए हैं। 57 साल के भारतीय मूल के अमेरिकी अरविंद कृष्णा को शुक्रवार को आइबीएम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कंपनी का सीईओ चुना। वह छह अप्रैल से मौजूदा सीईओ वर्जीनिया रोमैटी की जगह इस पद को संभालेंगे। रोमैटी ने अरविंद कृष्णा को बेहतरीन टेक्नोलॉजिस्ट बताते हुए कहा कि आइबीएम के अगले युग के सही सीईओ हैं।

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आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस में निभाई अहम भूमिका

रोमैटी ने कहा कि कृष्‍णा ने आइबीएम की प्रमुख तकनीकों में जैसे- आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड, क्वांटम कंप्यूटिंग और ब्लॉक चेन में अहम भूमिका निभाई है। उनका नेतृत्व बेमिसाल है, वह आज के विजेता तो बनेंगे ही, कल का बिजनेस खड़ा करने में भी कामयाब होंगे। कृष्णा का जन्म हैदराबाद में हुआ था। वह 1990 से इस कंपनी से जुड़े हैं। अमेरिकी कंपनी आइबीएम का बाजार पूंजीकरण करीब नौ लाख करोड़ रुपये है।

दो दशकों में ही जमाया भारत में पैर

आइबीएम ने 26 साल पहले भारत में अपना पहला आफिस खोला था। दो ही दशकों में आज अधिकतम भारतीय कर्मचारियों की मदद से कंपनी ने वह मुकाम हासिल किया है कि बैंकों के बीच होने वाला हरेक लेन-देन आइबीएम के जरिये होता है। भारत में दो बड़ी टेलीकॉम कंपनियों, दस में से नौ बैंकों, दुग्ध और डेयरी उत्पाद उद्योग के दो-तिहाई उत्पाद, देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट (ट्रैफिक) का संचालन और प्रबंधन आइबीएम के जरिये ही हो रहा है।

अभी तक का दायित्व

कृष्णा ने सीईओ चुने जाने के बाद खुशी जताते हुए कहा कि आइबीएम में इतने प्रतिभाशाली लोग और उच्च तकनीक है कि हम कठिन से कठिन समस्याओं का भी समाधान कर लेंगे। वर्तमान में अरविंद आइबीएम में क्लाउड और कॉग्निटिव सॉफ्टवेयर के लिए सीनियर वाइस प्रेसीडेंट के पद पर हैं। उन्होंने आइबीएम बिजनेस यूनिट का नेतृत्व किया। उनकी मौजूदा जिम्मेदारियों में आइबीएम क्लाउड, आइबीएम सिक्योरिटी और कॉग्निटिव एप्लिकेशन बिजनेस और आइबीएम रिसर्च भी शामिल हैं।

आइआइटी कानपुर से पढ़ाई

अरविंद सॉफ्टवेयर कंपनी रेड हैट के अधिग्रहण के प्रणेता थे। अरविंद कृष्णा ने 1985 में आइआइटी कानपुर के इलेक्टि्रकल इंजीनियरिंग विभाग से Fातक किया है। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ इलनोइस से इलेक्टि्रकल इंजीनियरिंग में पीएचडी भी की है। उनके नाम शोध व तकनीकी से संबंधित 15 पेटेंट हैं।

भारतीयों का परचम

सुंदर पिचाई सीइओ गूगल चेन्नई, सत्य नाडेला सीइओ माइक्रोसॉफ्ट हैदराबाद, राजीव सूरी सीइओ नोकिया भोपाल, शांतनु नारायण सीइओ एडोब हैदराबाद, संजय झा सीइओ मोटोरोला बिहार, अजयपाल सिंह बंगा सीइओ मास्टरकार्ड महाराष्ट्र

आइबीएम की उपलब्धियां

कंप्यूटर कंपनियों में आइबीएम एकमात्र ऐसी कंपनी है जिसने अब तक तीन नोबेल पुरस्कार, चार टूरिंग पुरस्कार, पांच राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पदक तथा पांच राष्ट्रीय विज्ञान पदक जीते हैं। कंपनी के नाम दुनिया के सर्वाधिक पेटेंट होने का भी इतिहास है। 1981 में आइबीएम ने पर्सनल कंप्यूटर्स की बिक्री शुरू की।

आइबीएम का सफर

कंपनी की शुरुआत 16 जून 1911 में कंप्यूटिंग-टैबुलैटिंग-रिकॉर्डिंग कंपनी के नाम से हुई। 1924 में इसे बदल कर इंटरनेशनल बिजनेस मशीन किया गया। इसे बिग ब्लू नाम से भी जाना जाता है।-ये अमेरिकी कंपनी भारत समेत 170 से भी ज्यादा देशों में फैली है।-दुनिया की सबसे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी में से एक है। इसमें लगभग 3,80,000 कर्मचारी हैं। अमेरिका के बाहर इसके सर्वाधिक कर्मचारी भारत में हैं। 


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