किडनी रोगियों पर भारी पड़ सकता है कोरोना संक्रमण, बुजुर्गों को है सबसे ज्यादा खतरा
अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार यह निष्कर्ष उन 12 हजार 971 लोगों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है जो गत सात मार्च से 19 मई के दौरान कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इनमें से 354 पीड़ितों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी थी।
वाशिंगटन, एएनआइ। कोरोना वायरस (COVID-19) उन लोगों के लिए ज्यादा परेशानी खड़ी कर रहा है, जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि किडनी की समस्या से पीड़ित लोगों पर यह खतरनाक वायरस ज्यादा भारी पड़ सकता है। कोरोना संक्रमण के चलते ऐसे लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है। इस तरह के मामलों में क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) प्रमुख कारक बनकर उभरा है। सीकेडी किडनी रोग का एक प्रकार है। बुजुर्गो में आमतौर पर होने वाली इस बीमारी के चलते किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है।
12 हजार से ज्यादा लोगों पर किया गया अध्ययन
अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार, यह निष्कर्ष उन 12 हजार 971 लोगों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है, जो गत सात मार्च से 19 मई के दौरान कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इनमें से 354 पीड़ितों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी थी।
क्रॉनिक किडनी डिजीज के बीच पाया गया गहरा संबंध
शोधकर्ताओं ने किडनी, हृदय, श्वसन और स्वास्थ्य संबंधी दूसरी स्थितियों को लेकर विश्लेषण किया था। उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने और क्रॉनिक किडनी डिजीज के बीच गहरा संबंध पाया। शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना की चपेट में आने वाले सामान्य लोगों की तुलना में किडनी रोग से जूझ रहे पीड़ितों को अस्पताल में भर्ती किए जाने का खतरा 11 गुना ज्यादा पाया गया।
अध्ययन के निष्कर्षो को पीएलओएस वन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। अमेरिका के जिसिंजर किडनी हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता एलेक्स चांग ने कहा, 'हमारे नतीजों से जाहिर होता है कि किडनी रोग से जुड़े कोरोना पीड़ितों पर खास ध्यान देने की जरूरत है।'
गौरतलब है कि विश्वभर में कोरोना के मामलों में कमी नहीं आ रही है। साल 2020 के शुरुआत से ही कोरोना महामारी ने लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है।