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समलैंगिक जोड़े ने सरोगेसी से कनाडा में करवाया जुड़वां बच्चों का जन्म, फिर अमेरिका ने किया ये काम

अमेरिका के एंड्र्यू ड्वैश और इजरायल के एलड ड्वैश ने 2010 में कनाडा में शादी कर ली थी। बाद में दोनों ने सरोगेसी के जरिये बच्चों के जन्म का फैसला लिया।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 10:46 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 10:46 PM (IST)
समलैंगिक जोड़े ने सरोगेसी से कनाडा में करवाया जुड़वां बच्चों का जन्म, फिर अमेरिका ने किया ये काम
समलैंगिक जोड़े ने सरोगेसी से कनाडा में करवाया जुड़वां बच्चों का जन्म, फिर अमेरिका ने किया ये काम

द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। अमेरिका के एक समलैंगिक जोड़े ने सरोगेसी (किराए की कोख) के जरिये 2016 में कनाडा में जुड़वा बच्चों का जन्म कराया था। इनके जन्म में यूं तो महज कुछ मिनट का फर्क था, लेकिन इनकी नागरिकता सवालों के घेरे में आ गई। इनमें से एक बच्चे एडेन को अमेरिकी नागरिकता दे दी गई, लेकिन दूसरे भाई ईथन ड्वेश को अधिकारियों ने अमेरिकी नहीं माना। अपील और लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने दूसरे बच्चे को भी जन्म से अमेरिकी मानने का निर्देश दिया है। विदेश मंत्रालय ने फैसले की समीक्षा करने की बात कही है।

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अमेरिका के एंड्र्यू ड्वैश और इजरायल के एलड ड्वैश ने 2010 में कनाडा में शादी कर ली थी। बाद में दोनों ने सरोगेसी के जरिये बच्चों के जन्म का फैसला लिया। इसके लिए दोनों के स्पर्म से जुड़वा बच्चों का जन्म कराया गया। इसके बाद जिस बच्चे का जन्म अमेरिकी पिता के स्पर्म से हुआ, उसे अमेरिकी नागरिकता दे दी गई। लेकिन दूसरे बच्चे को अधिकारियों ने नागरिकता देने से इन्कार कर दिया। इसके लिए अधिकारियों ने उस नियम का हवाला दिया, जिसके अनुसार देश के बाहर जन्मे उसी बच्चे को अमेरिकी नागरिक माना जाता है, जिसका किसी अमेरिकी से जैविक संबंध हो।

इस फैसले के बाद समलैंगिक लोगों के अधिकारों को लेकर बहस छिड़ गई थी। अब सेंट्रल डिस्टि्रक्ट ऑफ कैलिफोर्निया की जिला अदालत से इस समलैंगिक जोड़े को राहत मिली है। अदालत ने अधिकारियों के फैसले को गलत ठहराया है। जज का कहना है कि संघीय कानून के मुताबिक, शादी होने के बाद उस जोड़े की किसी भी संतान को जैविक संबंध प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं रह जाती। इस आधार पर दोनों बच्चों को समान मानते हुए जन्म से ही अमेरिकी नागरिकता मिलनी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने फैसले की समीक्षा की बात कही है, लेकिन इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की है कि इसका फिलहाल चली आ रही नीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।


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