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अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी जो बिडेन ने दिया भारत विरोधी बयान, जानें क्‍या कहा

चीन से जारी तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बिडेन ने भारत विरोधी बयान दिया है। जानें उन्‍होंने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 11:55 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 04:06 AM (IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी जो बिडेन ने दिया भारत विरोधी बयान, जानें क्‍या कहा
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी जो बिडेन ने दिया भारत विरोधी बयान, जानें क्‍या कहा

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बिडेन ने कश्मीर, नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act, CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (National Register of Citizens, NRC) को लेकर भारत विरोधी बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कश्मीरियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए भारत को जरूरी कदम उठाने चाहिए। साथ ही उन्होंने सीएए और असम में लागू एनआरसी पर भी निराशा जताई।

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नवंबर में होने वाले हैं चुनाव

बिडेन की कैंपेन वेबसाइट पर 'मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के लिए एजेंडा' शीर्षक से पोस्ट किए गए पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि सीएए और एनआरसी जैसे कदम भारतीय लोकतंत्र की बहुसंस्कृतिवाद और धर्मनिरपेक्षता की सतत परंपरा के खिलाफ हैं। अमेरिका में नवंबर महीने में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं।

जागा मुस्लिम प्रेम

पॉलिसी पेपर में कहा गया है कि जो बिडेन मुस्लिम देशों और मुस्लिम आबादी वाले देशों में हो रहे घटनाक्रमों को लेकर मुस्लिम-अमेरिकियों के दर्द को समझते हैं। इस दस्तावेज में चीन के उइगर मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखे जाने के साथ कश्मीर और असम का भी जिक्र है। इसके अलावा, म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे भेदभाव और उत्पीड़न के बारे में भी चर्चा की गई है।

हिंदू-अमेरिकियों ने किया विरोध

हिंदू-अमेरिकियों के एक समूह ने बिडेन के कैंपेन में भारत के खिलाफ इस्तेमाल हुई भाषा को लेकर विरोध जताया और इस पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है। समूह ने हिंदू-अमेरिकियों के लिए भी इसी तरह का पॉलिसी पेपर लाने की मांग की है। हालांकि, इस पर बिडेन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।

भारत जता चुका है विरोध

भारत सरकार सीएए और कश्मीर को आंतरिक मामला करार देते हुए बाहरी संगठनों और दूसरे देशों के हस्तपेक्ष को खारिज कर चुकी है। सरकार का कहना है कि नागरिकता कानून का उद्देश्य पड़ोसी देशों के प्रताडि़त अल्पसंख्यकों को सुरक्षा करना है।


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