Second 2+2 dialogue विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी समकक्ष के समक्ष कश्मीर पर की चर्चा
विदेश मंत्री ने कहा कि बुअमेरिका में उनके समकक्ष पोम्पिओ के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। पोम्पिओ के साथ उनकी सकारात्मक चर्चा हुई।
वाशिंगटन, एजेंसी । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और अमेरिकी सांसदों के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कश्मीर के ताजा हालात पर संक्षिप्त चर्चा की गई। विदेश मंत्री ने कहा कि बुधवार को अमेरिका में उनके समकक्ष पोम्पिओ के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इसके बाद वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क ओशो के साथ दूसरे 2 + 2 संवाद में शामिल हुए। इसके साथ उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों से नागरिक संशोधन कानून 2019 पर अलग से चर्चा की। इस मामले में उन्होंने भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।
गुरुवार को भारतीय पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत में जयशंकर ने कहा कि पोम्पिओ के साथ कश्मीर के हाला पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि पोम्पिओ के साथ उनकी सकारात्मक चर्चा हुई। जयशंकर ने कहा कि मैंने उनको कश्मीर के ताजा हालत की जानकारी दी। उधर, भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की सदस्य प्रमिला जयपाल के साथ अपनी बैठक रद कर दी है। विदेश मंत्री ने कहा है कि उनको भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसियों से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं है। बता दें कि प्रमिला जयपाल भारतीय मूल की अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य हैं। जयपाल ने कश्मीर के हालात का मामला कांग्रेस में उठाया है। इसको लेकर वह काफी सुर्खियों में रही हैं। बता दें कि प्रमिला जयपाल भारत के चेन्नई मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। वह अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर ने जयपाल की कश्मीर रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट पूरे हालात की सही तस्वीर नहीं पेश करती है। इस समय यह रिपोर्ट प्रतिनिधि सभा में बहस के लिए है। बता दें कि कश्मीर से प्रतिबंध हटाने के लिए अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने संसद में प्रस्ताव पेश कर रखा है। इस प्रस्ताव का पिछले काफी दिनों से अमेरिका में विरोध हो रहा है। यही नहीं इस विरोध में भारतीय अमेरिकन के समूह ने उनके दफ्तर के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन भी कर चुका है।
जयपाल इस प्रस्ताव के जरिए मांग कर रही हैं कि भारत सरकार जितना जल्दी संभव हो हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ दे और कश्मीर में संचार शुरु किया जाए। इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षबलों को वहां पर काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा करने की शर्त भारत सरकार को कड़ी नहीं करनी चाहिए। उन्हें रिहा करने के लिए जिन बॉन्ड्स पर साइन कराया जा रहा है, उनमें भाषण और राजनीतिक क्रिया-कलापों को रोकने की शर्त नहीं होनी चाहिए। यही नहीं ऐसा दावा पेश किया जा रहा है कि इस प्रस्ताव में लोगों को कई शर्तों के साथ रिहा किया जा रहा है।