ईरान में ट्रंप से बातचीत की सुगबुगाहट तेज, चालीस साल की दुश्मनी को खत्म करने की हो रही पैरवी
अमेरिका और ईरान के बीच पैरवी करने वालों में कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें अमेरिका का धुर विरोधी भी माना जाता रहा है।
वाशिंगटन, द न्यूयॉर्क टाइम्स। अमेरिका से किसी भी तरह की बातचीत को हार का प्रतीक बताने वाले ईरान की कट्टर आवाजों में दरार पड़ने लगी है। इसे अमेरिका की ओर से बन रहे दबाव का नतीजा कहा जाए या हालात को समझने की कोशिश कि अब ईरान में भी एक गुट अमेरिका से बातचीत की पैरवी करता दिखने लगा है।
कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों देशों की दुश्मनी खत्म करने में मददगार हो सकते हैं। खास बात यह भी है कि पैरवी करने वालों में कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्हें अमेरिका का धुर विरोधी माना जाता रहा है।
ट्रंप जुबान के पक्के
बातचीत की राह तलाश रहे लोगों में ईरान के पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद का नाम सबसे खास है। अहमदीनेजाद को अमेरिका का धुर विरोधी माना जाता रहा है। द न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा, 'ट्रंप जुबान के पक्के आदमी हैं। वह एक कारोबारी हैं और इसीलिए नफा-नुकसान का आकलन करने के बाद फैसला लेने में सक्षम हैं। उनसे कहना चाहिए कि दोनों देश मिलकर लंबी अवधि में होने वाले नुकसान पर विचार करें। तात्कालिक फायदे पर ना जाएं।'
अहमदीनेजाद को बोला जाता है ईरान का ट्रंप
अहमदीनेजाद के काम करने के तरीकों को देखते हुए कुछ लोग उन्हें ईरान का ट्रंप भी कहते हैं। आठ करोड़ की आबादी वाले ईरान में उनके बहुत प्रशंसक हैं। विशेषतौर पर देश का गरीब तबका उनका समर्थक है, क्योंकि उनके समय में ईरान की आर्थिक स्थिति बेहतर थी और लोगों को सरकार की ओर से सब्सिडी भी मिलती थी।
ईरान के विदेश मंत्री मुहम्मद जावद जाफरी ने भी इसी तरह की बात कही है। हाल में उन्होंने कहा था कि परमाणु संकट सुलझाने को संभावित रास्तों की तलाश के लिए वह अमेरिकी सीनेटरों से मिलने और चर्चा करने के इच्छुक हैं।
अमेरिका से बातचीत के पक्ष में नहीं थे जरीफ
पहली बार उन्होंने अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों को क्रमबद्ध तरीके से हटाने जैसे विकल्प की बात कही है। कुछ समय पहले तक जरीफ अमेरिका से तब तक किसी तरह की बातचीत के पक्ष में नहीं थे, जब तक वह फिर से 2015 में हुए परमाणु समझौते में शामिल नहीं हो जाता। अमेरिका ने पिछले साल खुद को इस समझौते से अलग कर लिया था।
अमेरिका को लेकर ईरान में दो गुट
अभी आवाजें कम भले हैं, लेकिन जरीफ और अहमदीनेजाद का रुख यह दिखाता है कि अमेरिका को लेकर ईरान में दो गुट बनने लगे हैं। एक गुट है जो अमेरिका के साथ पिछले चार दशक से चले आ रहे टकराव को खत्म करना चाहता है। इन दोनों का बयान इसलिए भी अहम है कि घरेलू राजनीति में दोनों को एक-दूसरे का विरोधी माना जाता है। अपने शासनकाल में अहमदीनेजाद ने जरीफ को सरकार से बाहर कर दिया था।