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आइएमएफ ने पाक को कर्ज देने पर रोक लगाने के दिए संकेत, कोरोना संकट के चलते हाल और बुरा होने के आसार

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को अल्पकालिक कर्ज देने पर रोक लगा सकता है। पाकिस्‍तान ऐसे कर्जों से बजट संबंधी जरूरी प्रावधानों के लिए धन जुटा लेता था। आइएमएफ इस रुख से पाकिस्तान में आर्थिक हालात और खराब होने के आसार हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 10:42 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 07:32 AM (IST)
आइएमएफ ने पाक को कर्ज देने पर रोक लगाने के दिए संकेत, कोरोना संकट के चलते हाल और बुरा होने के आसार
आइएमएफ पाकिस्तान को अल्पकालिक कर्ज देने पर रोक लगा सकता है।

इस्लामाबाद, आइएएनएस। आर्थिक तंगी से बेहाल पाकिस्तान के सिर पर खतरे की नई तलवार फिर लटक गई है। इस बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) पाकिस्तान को अल्पकालिक ऋण देने पर रोक लगा सकता है। इस तरह के ऋण से पाकिस्तान बजट संबंधी जरूरी प्रावधानों के लिए धन जुटा लेता था लेकिन आइएमएफ के ताजा संकेत से पाकिस्तान के लिए कोढ़ में खाज वाली स्थिति पैदा होने की आशंका है।

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पाकिस्तान में इस साल पिछले वर्ष के बजट की अपेक्षा करीब 1.5 प्रतिशत ज्यादा धन की जरूरत होगी। इससे वह अपनी घरेलू जरूरतें पूरी करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां पूरी कर पाएगा। आइएमएफ के अनुसार पाकिस्तान को आगामी वित्त वर्ष के लिए एक लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। लेकिन मौजूदा कर ढांचे में इतने धन का इंतजाम होना मुश्किल है। चालू वर्ष में भी कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।

इससे करों की वसूली की स्थिति खराब रही है। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान में एक तरफ तो करदाताओं की संख्या बहुत कम है। इस बार उनसे वसूली भी कम हुई है। जबकि कोविड महामारी के चलते सरकार पर जिम्मेदारी ज्यादा रही है। आने वाले समय जनसुविधाओं पर खर्च बढ़ने के आसार हैं। ऐसे में बोझ सरकार पर ही आएगा जबकि आगामी वर्ष में भी आर्थिक गतिविधियां धीमी रहने की आशंका है।

आइएमएफ के जताए गए आसार के अनुरूप पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि जरूरतों को पूरा करने के लिए अल्प अवधि और मध्यम अवधि के ऋणों की जरूरत होगी। इनके बिना काम चलना मुश्किल है। पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में जिस तरह से सऊदी अरब, यूएई और चीन से कर्ज लिया है। उसके चलते अब आने वाले समय में इन देशों से भी उसे कर्ज मिलने की उम्मीद कम है।


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