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COVID-19 Pandemic: हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नहीं फैविपिराविर है सटीक दवा, शोधकर्ताओं का दावा

Treatment of COVID-19 Pandemic मलेरिया के लिए उपयुक्त दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन में किसी एंटीवायरल गुण न होने का दावा करते हुए शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोविड-19 के इलाज के लिए इंफ्लूएंजा की दवा फैविपिराविर की अधिक खुराक कामयाब है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 08:36 AM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 08:36 AM (IST)
COVID-19 Pandemic: हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नहीं फैविपिराविर है सटीक दवा, शोधकर्ताओं का दावा
नए शोध के अनुसार इंफ्लूएंजा की दवा फैविपिराविर की अधिक खुराक करेगी काम

वाशिंगटन, एएनआइ। एक ओर जहां कोविड-।9 के लिए वैक्सीन विकसित करने में पूरी दुनिया जुटी है वहीं एक एंटी वायरल ड्रग फैविपिराविर ( favipiravir ) को इसके इलाज के लिए सटीक दवा होने का दावा किया जा रहा है। जापान में महामारी इंफ्लूएंजा के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले एंटीवायरल ड्रग फैविपिराविर (avipiravir) SARS-CoV-2 के इलाज में उपयोगी साबित हो रहा है।  शोधकर्ताओं ने इसपर अपनी मंजूरी दी  है। इनका दावा है कि कोविड-19 के इलाज के लिए फैविपिराविर की अधिक खुराक उपयोगी साबित हो रहा है। अब तक इसके लिए मलेरिया के लिए उपयोगी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) को इसके लिए उपयुक्त माना जा रहा था लेकिन इन शोधकर्ताओं ने कहा है कि इसमें कोई एंटीवायरल गुण है ही नहीं। 

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इन शोधकर्ताओं ने दावा किया कि फैविपिराविर की अधिक खुराक से फेफड़े (lungs) में सार्स कोव-2 ( SARS-CoV-2) का लेबल कम हो जाएगा। इसके अलावा फेफड़े की पैथोलॉजी बेहतर होगी और हैमस्टर मॉडल (hamster model) में सीधे संपर्क के जरिए वायरस का संक्रमण कम हो जाएगा। वहीं एंटी मलेरिया ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ( hydroxychloroquine) का वायरस के स्तर या संक्रमण पर कोई  असर नहीं होता। इस शोध में अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों में  सुजेन (Suzanne J. F. Kaptein), सोफी जैकब (Sofie Jacobs) , ऐना (ana Langendries),  लाउरा (Laura Seldeslachts) के अलावा और भी कई  शोधकर्ता शामिल थे। यह शोध जर्नल PNAS (Proceedings of the National Academy of Sciences of the United States of America) में प्रकाशित की गई। 

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन में पूरी तरह से एंटीवायरल एक्टीविटी नहीं है इसलिए कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए इसके इस्तेमल का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। बता दें कि पिछले साल के दिसंबर में चीन के वुहान से निकले घातक कोरोना वायरस के कारण अब तक दुनिया भर के 3 करोड़ 60 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं और साढ़े दस लाख से अधिक संक्रमितों की मौत हो चुकी है। इस हालात को देखते हुए इस महामारी के लिए वैक्सीन और दवाओं पर तेजी से शोध जारी है।


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