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अमेरिका में भारतीय मूल के कई डॉक्टर कोरोना की चपेट में, पुत्री के बाद पिता की भी मौत

अमेरिका के न्यूजर्सी प्रांत में कोरोना वायरस से जंग में भारतीय मूल के सर्जन सत्येंद्र देव खन्ना और उनकी डॉ बेटी प्रिया खन्ना की मौत हो गई। दोनों कोरोना की चपेट में आ गए थे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 05:41 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 06:28 PM (IST)
अमेरिका में भारतीय मूल के कई डॉक्टर कोरोना की चपेट में, पुत्री के बाद पिता की भी मौत
अमेरिका में भारतीय मूल के कई डॉक्टर कोरोना की चपेट में, पुत्री के बाद पिता की भी मौत

न्यूयॉर्क, एजेंसियां। अमेरिका के न्यूजर्सी प्रांत में कोरोना वायरस से जंग में भारतीय मूल के सर्जन सत्येंद्र देव खन्ना और उनकी डॉ बेटी प्रिया खन्ना की मौत हो गई। दोनों कोरोना की चपेट में आ गए थे। प्रांत के गवर्नर फिल मर्फी ने डॉक्टर पिता-पुत्री के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, उन्होंने दूसरों के लिए अपनी जिदंगी समर्पित कर दी। हम शब्दों में अपनी संवेदनाएं व्यक्त नहीं कर सकते। भारतीय मूल के कई डॉक्‍टर कोरोना की चपेट में हैं। संक्रमित हुए अधिकतर डॉक्टर न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी से बताए जा रहे हैं। 

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भारतीय मूल के डॉक्‍टरों पर है गर्व  

भारतीय मूल के अमेरिकी चिकित्सकों (अमेरिकी एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (AAPI)) के अध्यक्ष डॉ. सुरेश रेड्डी ने कहा कि हम सैकड़ों भारतीय मूल के चिकित्सा कर्मियों की बहादुरी से वायरस के खिलाफ लड़ाई की सराहना करते हैं। अमेरिका में हर 7 वां डॉक्टर एक भारतीय है और वे सबसे आगे हैं। वे सैनिकों की तरह आगे बढ़ कर काम कर रहे हैं और वायरस से लड़ रहे हैं। अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्‍टरों की संख्‍या 5 फीसद है। एएपीआइ 80 हजार से ज्यादा भारतीय मूल के चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करता है। 

रेड्डी ने कहा कि COVID-19 के खिलाफ लड़ाई कुछ महीनों में खत्म नहीं होने वाली है। यह समय 1-2 साल तक हो सकता है, जब तक कि कोई वैक्सीन या एंटीवायरल एजेंट विकसित न हो जाए। रेड्डी ने कहा कि जैसे ही अमेरिका महामारी से उभरता है, एक सबक जो सीखा जाएगा वह यह है कि अमेरिका को अपने स्वयं के मैन्‍युफैक्‍चरिंग बेस स्थापित करने होंगे, ताकि उसे आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भर न होना पड़े। उदाहरण के लिए, यदि हम अमेरिका में मास्क और अन्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) बनाने वाली कंपनियों का निर्माण करते तो हमें आपूर्ति की कमी की समस्या नहीं होती। मास्क, पीपीई, वेंटिलेटर पाने के लिए हर किसी के लिए चीन की ओर नहीं देखना पड़ता।  

पूरा परिवार चिकित्‍सा क्षेत्र से जुड़ा है   

78 वर्षीय सत्येंद्र देव खन्ना न्यूजर्सी के कई अस्पतालों में सर्जिकल विभाग के प्रमुख थे। जबकि उनकी 43 साल की बेटी प्रिया यूनियन अस्पताल में चीफ ऑफ रेजिडेंट्स थीं। खन्ना का पूरा परिवार चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा है। सत्येंद्र का निधन जिस क्लारा मास मेडिकल सेंटर में हुआ, वहां उन्होंने 35 साल से ज्यादा समय तक काम किया था। इसी अस्पताल में प्रिया की भी मौत हुई। वह भी इस अस्पताल में काम कर चुकी थीं।

प्रिया ने न्यूजर्सी में ही अपनी सभी मेडिकल ट्रेनिंग की थीं। इसके बाद वह नेफ्रोलॉजी में फेलोशिप के लिए कूपर हेल्थ सिस्टम से जुड़ी थीं। वह एसेक्स काउंटी के दो डायलिसिस सेंटर की मेडिकल डायरेक्टर भी थीं। उनकी मौत अप्रैल के महीने में हुई।

पत्नी और दो अन्य बेटियां भी डॉक्टर

गवर्नर मर्फी ने सत्येंद्र की पत्नी कोमलिश खन्ना से भी बात की। कोमलिश बाल चिकित्सक हैं। दंपती की दो अन्य बेटियां सुगंधा और अनीश भी डॉक्टर हैं।

माधवी की हुई थी न्‍यूयार्क के अस्‍पताल में मौत  

न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में कोरोना रोगियों का उपचार करते संक्रमित होने वाली 61 वर्षीय माधवी की अप्रैल के महीने में मौत हो गई। वह केरल की रहने वालीं थीं। वह अपने अंतिम समय में अपनी बेटी और पति से मिल भी नहीं पाई थीं। माधवी का परिवार, (उनके पति व बेटी) को लगता है कि अस्‍पताल की लापरवाही के कारण उनकी मौत हुई है।

न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन के वुडहल अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में काम करनेवालीं माधवी ने मैसेज में पति और बेटी को बताया था कि वह कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रही हैं। उन्‍होंने एक चौंकाने वाली बात ये बताई थी कि अस्‍पताल की ओर से उन्‍हें सिर्फ एक सर्जिकल मास्‍क दिया गया है। यह मास्‍क हवा के जरिए फैलने वाल संक्रमण से बचाव के लिए नाकाफी होता है। वह जीवन के अंतिम समय में केवल मोबाइल के जरिए ही अपने परिवार से संपर्क कर सकती थीं।

गौरतलब है कि अमेरिका में पिछले 24 घंटे में 2448 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई है। इसके साथ ही अमेरिका में मरने वालों की संख्‍या 75,543 के पार हो गई है। कोरोना वायरस से संक्रमितों का आंकड़ा करीब 13 लाख पहुंच चुका है। राहत देने वाली खबर यह है कि 217,251 कोरोना मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। कोराना की चपेट में बड़ी संख्‍या में भारतीय डॉक्‍टर और नर्स आए हैं। 


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