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अमेरिकी सांसद से भारतीय राजदूत ने की जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा

अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रींगला ने बुधवार को ओरेगॉन से अमेरिकी सीनेटर जेफ मर्कले से मुलाकात की।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 09:45 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 09:45 AM (IST)
अमेरिकी सांसद से भारतीय राजदूत ने की जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा
अमेरिकी सांसद से भारतीय राजदूत ने की जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा

वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रींगला (Harshvardhan Shringla) ने बुधवार को ओरेगॉन से अमेरिकी सीनेटर जेफ मर्कले से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उन्‍होंने जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के तरीकों पर चर्चा की। उन्‍होंने अपने ट्वीटर हैंडल के जरिए इस मुलाकात की जानकारी शेयर की और लिखा, ‘जेफ मर्कले के साथ मुलाकात काफी अच्‍छी रही।'

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संयुक्त राष्ट्र (UN) में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू हो गया है। इस सम्‍मेलन में दुनिया के 196 देश शामिल हुए। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के तहत कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी)-25 का आयोजन स्‍पेन में किया गया है। यह सम्‍मेलन 2 दिसंबर से शुरू होकर 13 दिसंबर तक चलेगा।

सम्‍मेलन का उद्घाटन संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने किया। जलवायु सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल कर रहा है। इसमें दुनिया के कोने-कोने से पर्यावरण शोधार्थी और सरकारों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। फिलहाल पृथ्‍वी का औसत तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस है जो पहले काफी काम यह काफी अधिक रहा होगा। पिछले कुछ समय में तापमान की वजह से जलवायु में काफी बदलाव देखा जा रहा है। अब वर्षा के मौसम में वर्षा नहीं होती, जाड़े में देर से ठंड आती है, गर्मियां लंबी होती जा रहीं हैं। इस बदलाव का दुनिया भर में प्रभाव देखने को मिल रहा है। कहीं बाढ़ से हालात बदतर हैं तो कहीं सूखे के कारण।

जलवायु परिवर्तन के कारण पेयजल की कठिनाई, खाद्यान्न उत्पादन में कमी, तूफान, सूखा यहां तक कि अब हम शुद्ध हवा के लिए भी मोहताज हो रहे हैं।

इस साल सितंबर माह में आयोजित पर्यावरण शिखर सम्‍मेलन में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने एक रिपोर्ट पेश की। इसके अनुसार, पिछले पांस साल की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में 20 फीसद की बढ़त है।


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