PM मोदी के मेगा शो से पहले भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने मांगी दोहरी नागरिकता, जानिए- मामला
ह्यूस्टन में पीएम मोदी के मेगा शो से पहले एफआइआइडीएस के सर्वेक्षण में सामन आई बात
वाशिंगटन, प्रेट्र। ह्यूस्टन में रविवार को होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेगा शो से पहले भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों ने भारत सरकार से दोहरी नागरिकता की इच्छा जताते हुए अपनी इस मांग का जबरदस्त समर्थन किया है। इसी प्रकार अमेरिका में रहने वाले प्रवासी भारतीयों ने डाक के जरिये सीधे मतदान की बजाय प्रॉक्सी वोटिंग (प्रतिनिधि के जरिये मतदान) को पसंद किया है।
फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (एफआइआइडीएस) अमेरिका की तरफ से कराए गए सर्वेक्षण में ये बातें सामने आई हैं। सर्वेक्षण में आव्रजन, निवेश, दोहरी नागरिकता, दोहरा कर और सामाजिक सुरक्षा कोष का हस्तांतरण समेत कई विषयों को शामिल किया गया। लोगों ने पूछे गए सवालों में दोहरी नागरिकता की मांग का सबसे ज्यादा समर्थन किया और उसे 4.4 स्टार दिए।
एफआइआइडीएस ने कहा, 'अन्य देशों के लोगों के पास अपनी मातृभूमि की नागरिकता छोड़े बगैर अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार है। प्रवासी भारतीय लंबे समय से भारत सरकार से यह मौका देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ।'
एफआइआइडीएस ने कहा कि 33 फीसद लोगों ने प्रॉक्सी वोटिंग को पसंद किया, जबकि 28 फीसद लोगों ने डाक के जरिये सीधे मतदान में रुचि दिखाई। अमेरिकी आव्रजन नीति में भारतीय लोगों के लिए विशेष प्रावधान की व्यवस्था दूसरी सबसे बड़ी मांग रही। 80 फीसद लोगों ने ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की, जबकि 60 फीसद ने एच1/एल1 वीजा व 30 फीसद ने एच4/ईएडी में दिलचस्पी दिखाई।
सर्वे के दौरान लोगों ने भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सीधे निवेश की मांग को पांच में से 4.4 स्टार दिए, जबकि भूमि में निवेश के लिए 3.9 स्टार दिए। दोहरे कराधान से बचाव के मुद्दे को 4.2 व सामाजिक करों के मसले को 4 स्टार मिले।
पूर्व पीएम वाजपेयी की सरकार में भी उठी थी मांग
भारतीय समुदाय की एक उच्च स्तरीय समिति के तत्कालीन अध्यक्ष एलएम सिंघवी ने आठ जनवरी 2002 को दोहरी नागरिकता की सिफारिशों को सरकार के समक्ष सौंपा था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनवरी 2003 में सिफारिशों को स्वीकार किया था। हालांकि, वर्ष 2005 में नागरिकता अधिनियम-1955 में संशोधन किया गया और प्रवासी भारतीय नागरिकता (ओसीआइ) का अधिकार दिया गया, लेकिन यह दोहरी नागरिकता नहीं है।