भारत की प्रशांत सागर में धीरे-धीरे प्रभाव जमाने की कोशिश, 12 देशों को 16.2 करोड़ डॉलर की मदद
पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रशांत महासागर में स्थित 12 देशों के प्रमुखों के साथ बैठक की। इन देशों को 15 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है।
न्यूयार्क, आशुतोष झा। यह तो तय है कि आने वाले वर्षो तक वैश्विक कूटनीति की दिशा तय करने में हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र की भूमिका बहुत अहम होगी। भारत भी धीरे धीरे इस क्षेत्र को लेकर चल रही कूटनीति में शामिल होने लगा है। अब भारत ने प्रशांत महासागर क्षेत्र के छोटे छोटे देशों को पहली बार साधने की कोशिश की है। इस क्रम में यहां पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशांत क्षेत्र के 12 देशों के प्रमुखों के साथ हुई बैठक एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम साबित होगा। इस बैठक में मोदी ने इन देशों को 15 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद (बेहद आसान शर्तो पर कर्ज) देने का ऐलान किया है। साथ ही इन सभी देशों को अलग से 10-10 लाख डॉलर का अनुदान भी देने का ऐलान किया।
बैठक में फिजी, किरीबाती, मार्शल आइजलैंड्स, माइक्रोनेशिया, नौरू, पलाउ, पापुआ न्यू गिनी, सामोआ, सोलोमोन आइजलैंड्स, टोंगा, तिवालू और वानाआतू है। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि यह बैठक भारत की लुक ईस्ट नीति के विस्तार का ही हिस्सा है। भारत पहले इस क्षेत्र के देशों के साथ अपने रिश्तों को नया आयाम देने के लिए इंडिया पैसिफिक आइजलैंड कोऑपरेशन नाम से एक संगठन का निर्माण कर चुका है।
तकनीकी व अन्य सहयोग देने का प्रस्ताव
इसकी दो बैठकें भी पहले हुई हैं। लेकिन इस बैठक की गंभीरता का पता इस तथ्य से लगता है कि पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के बेहद व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद इसके आयोजन को हरी झंडी दिखाई। मंगलवार देर शाम हुई इस बैठक में पीएम मोदी ने यह इच्छा प्रकट की है कि भारत इन सभी देशों के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ करने के लिए तैयार है।
अधिकारियों को प्रशिक्षण देगा भारत
पीएम मोदी ने इस सभी देशों के विकास में तकनीकी व अन्य सहयोग देने का प्रस्ताव किया जिसे कई देशों ने स्वीकार भी किया। इस सहयोग में अधिकारियों को प्रशिक्षण देना, इन देशों के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को भारत ला कर उन्हें प्रशिक्षित करने और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी हर तरह की मदद देने का ऐलान किया। मोदी ने एक विशेष कार्यक्रम का भी ऐलान किया जिसके तहत इन देशों के प्रमुख व्यक्ति भारत आसानी से आ सकेंगे और यहां प्रशिक्षण आदि हासिल कर सकेंगे।
सनद रहे कि जब से साउथ चाइना सी का विवाद सामने आया है तभी से प्रशांत महासागर में स्थित छोटे छोटे देशों की अहमियत बढ़ गई है। एक तरफ अमेरिका की तरफ से इन देशों को कई तरह की आर्थिक मदद दी जा रही है तो चीन भी इन्हें लुभाने की कोशिश में है। चीन सरकार लगातार इन देशों के प्रमुखों के साथ अलग अलग मंचों पर बैठक कर रही है। इन देशों की आर्थिक, रणनीतिक व राजनीतिक महत्व को हर बड़ी शक्ति स्वीकार कर रहा है। भारत ने वर्ष 2014 से ही इन देशों पर खास तवज्जो देना शुरु किया है। इनमें से कई बेहद छोटे देश हैं लेकिन इनके पास हाइड्रोकार्बन का बड़ा भंडार भी है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो भारत आगे चल कर इनसे गैस भी खरीद सकता है।