संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दा उठाने पर भारत ने लगाई पाकिस्तान को कड़ी फटकार
अकबरुद्दीन ने अपने बयान में कहा कि यह ध्यान देने की बात है कि 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद पहचान और वैधता के संकट से जूझ रही है।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। पाकिस्तान द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने पर पलटवार करते हुए भारत ने कहा कि वह खुद बुराई का प्रतीक है और उसका मालवेयर लेने वाला कोई नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल ने जो खुद बुराई का प्रतीक है। उसने आज फिर झूठ का प्रचार किया है, जिसे हम तिरस्कार के साथ खारिज करते हैं। उल्लेखनीय है कि मालवेयर एक तरह का कंप्यूटर सॉफ्टवेयर है, जिसका इस्तेमाल हैकर निजी सूचना चुराने के लिए करते हैं।
खुली बहस के दौरान पाकिस्तान को सरल जवाब
सुरक्षा परिषद में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उपयोग विषय पर खुली बहस के दौरान अकबरुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान को मेरा सरल जवाब है कि भले ही देर हो चुकी है, वह अपने आप को ठीक कर ले। उसका मालवेयर लेने वाला यहां कोई नहीं है।
पाक ने संयुक्त राष्ट्र में अनुच्छेद 370 हटाने और अभिनंदन का भी किया जिक्र
अकबरुद्दीन का यह कड़ा प्रतिवाद पाकिस्तानी राजदूत मुनीर अकरम द्वारा जम्मू-कश्मीर मुद्दा उठाने के बाद आया। अकरम ने अपने संबोधन में अनुच्छेद 370 हटाने, कश्मीर में संचार माध्यमों पर प्रतिबंध और भारत द्वारा किए गए हवाई हमले के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन को पकड़ने का भी जिक्र किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस से भारत और पाकिस्तान के बीच खतरनाक लड़ाई रोकने के लिए दृढ़ता से काम करने का अनुरोध किया।
दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की असफल कोशिश
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत सरकार के फैसले के बाद इस मुद्दे पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की असफल कोशिश करता रहा है। दूसरी तरफ भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना पूरी तरह उसका घरेलू मामला है।
15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद पहचान और वैधता के संकट से जूझ रही
अकबरुद्दीन ने अपने बयान में कहा कि यह ध्यान देने की बात है कि 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद पहचान और वैधता के संकट से जूझ रही है। इसके अलावा प्रासंगिकता और प्रदर्शन का सवाल भी इसके सामने है। आतंकी नेटवर्क का वैश्वीकरण, नई प्रौद्योगिकियों वाले हथियार, विध्वंस के लिए राज्य का सहारा लेने वालों का मुकाबला करने में असमर्थता परिषद की कमियों को दिखा रही है।