नोटबंदी और जीएसटी से उपजी चुनौतियों से उबर रहा भारत, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र धीमा
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि भारत नोटबंदी और वस्तु व सेवा कर लागू होने के बाद पैदा हुई मुश्किलों से तेजी से उबर रहा है।
वॉशिंगटन, (एजेंसी)। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने रविवार को कहा कि भारत नोटबंदी और वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद पैदा हुई मुश्किलों से तेजी से उबरता नजर आ रहा है। हालांकि संस्था ने शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सुधार की गति को धीमा बताया है। इसके साथ ही उसने यह भी कहा है कि देश में बैंकिंग और वित्तीय तंत्र को सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयास में सुधार की काफी गुंजाइश है।
सोमवार को भारत आ रहे आईएमएफ के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर ताओ झेंग ने कहा, 'हालांकि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने जैसी घटनाओं ने विकास गति धीमी की। लेकिन पिछली तिमाही में 7.2 फीसदी विकास दर के साथ भारत ने दुनिया की सबसे तेज गति से विकासशील अर्थव्यवस्था का तमगा वापस हासिल कर लिया है।' उन्होंने माना कि भारत में दैनिक लेनदेन में नकदी की बड़ी भूमिका होने के चलते नोटबंदी से थोड़े समय तक कारोबार संबंधी दिक्कतें पेश आना बेहद स्वाभाविक था। उसी तरह जीएसटी में तकनीकी दिक्कतों ने शुरआती दिनों में कारोबारियों को परेशानी में डाला। लेकिन अब अर्थव्यवस्था उन बाधाओं को पार कर वापस पटरी पर लौट गई लगती है।
झेंग का कहना था, 'हाल के वर्षो में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से विस्तार हुआ है। इसका श्रेय वृहत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नीतिगत सुधारों को जाता है जिसका मकसद स्थिरता पर बल देना है। इसके साथ ही भारत ने आपूर्ति की बाधाओं को दूर करने और संरचनात्मक सुधारों से जुड़ी समस्याओं को हल करने की दिशा में भी कदम उठाए हैं।' झेंग ने कहा कि पिछले कुछ समय में अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए उठाए गए इन सभी कदमों का दूरगामी फायदा देश की अर्थव्यवस्था को होगा। इसके साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा खर्च में बढ़ोतरी, निजी और सार्वजनिक निवेश को बल देने और बैंकिंग व वित्तीय तंत्र को मजबूती प्रदान करने जैसे कदम आने वाले दिनों में उठाए जाने की पूरी संभावना है। ये सभी कदम भारत को सबसे धनवान देशों की सूची में ला खड़ा करने में बड़ी मदद करेंगे।