UNSC Sanctions Committees में पारदर्शिता न होने पर भारत ने जताया रोष
भारत ने UNSC की प्रतिबंध कमेटी के कामकाज में पारदर्शिता न होने पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह रुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के एक माह बाद सामने आया है।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध कमेटी के कामकाज में पारदर्शिता न होने पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत ने कहा है कि पारदर्शिता के अभाव में ही पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में एक दशक का समय लग गया। भारत का यह रुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के एक महीने बाद सामने आया है।
सुरक्षा परिषद की सहायक कमेटियों का उल्लेख करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि के नागराज नायडू ने कहा, कई कमेटियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए उनका गठन हुआ है। ये किसी भी व्यक्ति या संस्था पर प्रतिबंध लगाती हैं या उसे प्रतिबंध से मुक्त करती हैं। अब इन कमेटियों के कामकाज के तरीके पर खुली बहस की जरूरत है। क्योंकि इन कमेटियों के कामकाज की कोई नियमावली नहीं है और ये सुरक्षा परिषद के किसी संकल्प से बंधी हुई नहीं हैं। ये कमेटियां पारदर्शिता के मानदंडों से परे काम करती हैं। इनके बहुत सारे फैसले और बातचीत की प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय बिरादरी जान भी नहीं पाती है।
नायडू ने कहा, सदस्य देशों के आवेदन पर निर्णय या उसे अस्वीकार करने की कमेटी की प्रक्रिया को भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है, न ही औपचारिक रूप से संबंधित देश को इसकी समुचित जानकारी दी जाती है। इसी प्रकार से वैश्विक आतंकी की सूची से नाम हटाने की जानकारी से भी संबंधित देश को वंचित रखा जाता है।
भारत का यह आक्रोश सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध कमेटी के दस साल बाद अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के बाद सामने आया है। मसूद के संगठन जैश ए मुहम्मद पर पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला, संसद पर हमले जैसे जघन्य मामलों के आरोप हैं।
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