यौन हिंसा में लिप्त आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए यूएन : भारत
भारत ने कहा कि अंतर-सीमा अपराधों में पीडि़तों को न्याय दिलाना कठिन काम है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से सशस्त्र संघर्षो के दौरान यौन हिंसा में लिप्त आतंकियों और आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। भारत ने कहा कि अंतर-सीमा अपराधों में पीडि़तों को न्याय दिलाना कठिन काम है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने गुरुवार को चिंता जताई कि आतंकी संगठन सशस्त्र संघर्ष में यौन हिंसा, अपहरण और मानव तस्करी को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। सुरक्षा परिषद में 'महिलाओं, शांति और सुरक्षा' मसले पर एक उच्च स्तरीय चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि सशस्त्र संघर्ष वाले क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पलायन होने से महिलाओं के साथ भेदभाव और उत्पीड़न का खतरा बढ़ जाता है।
त्रिपाठी ने कहा कि सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समितियों को पूरी सक्रियता के साथ सशस्त्र संघर्षो में यौन और लिंग आधारित हिंसा में लिप्त आतंकियों और संगठनों को सूचीबद्ध करने की जरूरत है। अंतर-सीमा अपराध में लिप्त अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए अंतराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है।
2017 में यौन हिंसा के 800 मामले
यूएन महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने सुरक्षा परिषद में कहा कि औपचारिक शांति प्रक्रियाओं में महिलाओं की भूमिका अब भी काफी सीमित है। संयुक्त राष्ट्र को साल 2017 में संघर्ष से संबंधित यौन ¨हसा के 800 से ज्यादा मामले मिले। यह आंकड़ा साल 2016 की अपेक्षा 56 फीसद ज्यादा है।