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सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत, ब्राजील, जर्मनी, जापान ने मिलाया हाथ

चारों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा हाल ही में शुरु किये गए इंटर गवर्नमेंटल नेगोसिएशंस (आइजीएन) की भी समीक्षा की गई।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 09:35 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 09:35 PM (IST)
सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत, ब्राजील, जर्मनी, जापान ने मिलाया हाथ
सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत, ब्राजील, जर्मनी, जापान ने मिलाया हाथ

न्यूयार्क, आशुतोष झा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को आगे बढ़ाने और उसके स्थायी व अस्थायी सदस्यों के विस्तार को लेकर भारत, जर्मनी, ब्राजील और जापान एकजुट हो गए हैं। न्यूयार्क में इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी कर संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए 2005 में सभी राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के विश्व सम्मेलन में की गई परिकल्पना को आगे बढ़ाने की जरूरत बढ़ाई। यही नहीं, सुरक्षा परिषद में चारों देशों ने स्थायी सदस्यता के लिए एक-दूसरे को सहयोग करने का ऐलान भी किया।

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चारों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा हाल ही में शुरु किये गए इंटर गवर्नमेंटल नेगोसिएशंस (आइजीएन) की भी समीक्षा की गई। जिसमें पाया गया कि आइजीएन शुरू होने के बाद भी कोई ठोस परिणाम नहीं मिल पाया है।

आइजीएन में पारदर्शिता के अभाव होने के साथ-साथ काम करने का तरीका भी संदिग्ध है। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र आम सभा की 1979 की बैठक के एजेंडे में सुरक्षा परिषद का विस्तार पर उसकी सदस्यता बढ़ाने का मुद्दा शामिल था, लेकिन 40 सालों में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका।

चारों विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान में साफ कर दिया है कि अब सिर्फ सामान्य वक्तव्य देकर बहस पूरी करने की परंपरा को विदा करने का समय आ गया है। जबकि संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य सुरक्षा परिषद में समग्र सुधार और आइजीएन को लक्ष्योन्मुखी प्रक्रिया की जोड़ने के पक्षधर हैं।

अगले साल 2020 में संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ को देखते हुए चारों विदेश मंत्रियों ने उम्मीद जताई है कि मौजूदा आमसभा का सत्र सुरक्षा परिषद में सुधारों का रास्ता साफ करेगा, जिनमें स्थायी सदस्यों के साथ-साथ अस्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाया जाना शामिल है। ताकि इसमें दुनिया के सभी भागों और वर्गो का प्रतिनिधित्व हो सके और वे लोकतांत्रिक तरीके से मौजूदा वैश्विक समस्याओं का हल ढूंढ सकें।


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