IMF की जॉर्जीवा गरीब देशों के लिए वित्तपोषण को करना चाहती हैं तिगुना
जॉर्जीवा ने अन्य दाताओं से भी आग्रह किया कि वे हमारे सबसे गरीब सदस्य देशों को पूरे दो साल के लिए अतिरिक्त ऋण राहत सेवा देने की हमारी क्षमता को बढ़ाने में मदद करें।
वॉशिंगटन, रॉयटर्स। प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने बुधवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष गरीब देशों के लिए अपने रियायती वित्तपोषण को 18 अरब डॉलर से अधिक करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने एक समाचार ब्रीफिंग में वीडियो कांफ्रेंस से जरिए बताया, 'आईएमएफ से रियायती धन के लिए अधिक क्षमता जुटाने के लिए हमें सदस्यता का पूरा समर्थन है। हमारा लक्ष्य उन गरीब देशों के लिए जो हम कर रहे हैं उसे तीन गुना करना है।'
बताया गया कि रियायती ऋण आम तौर पर बाजार में उपलब्ध शर्तों पर निर्भर करता है। बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के कार्यकारी बोर्ड ने 25 गरीब देशों को तत्काल ऋण सेवा राहत देने की मंजूरी दी थी। जॉर्जीवा ने एक बयान में कहा था कि मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने 25 देशों के संशोधित तबाही कंटेनर एंड रिलेशन ट्रस्ट (सीसीआरटी) के तहत तत्काल ऋण सेवा राहत को मंजूरी दे दी है।
उन्होंने आगे कहा कि यह हमारे गरीब और सबसे कमजोर सदस्यों को अगले छह महीनों में एक प्रारंभिक चरण के लिए अपने आईएमएफ ऋण दायित्वों को कवर करने के लिए अनुदान प्रदान करता है और महत्वपूर्ण आपातकालीन चिकित्सा और अन्य राहत प्रयासों के लिए उनके दुर्लभ वित्तीय संसाधनों को और अधिक चैनल में मदद करेगा।
जिन 25 देशों को यह ऋण सेवा राहत मिलेगी, उनमें अफगानिस्तान, बेनिन, बुर्किना फासो, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड, कोमोरोस, कांगो, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाऊ, हैती, लाइबेरिया, मेडागास्कर, मलावी, माली, मोज़ाम्बिक, नेपाल, नाइजर, रवांडा, साओ टोम और प्रिंसिपे, सिएरा लियोन, सोलोमन द्वीप, ताजिकिस्तान, टोगो और यमन शामिल हैं।
जॉर्जीवा ने कहा था कि मैं अन्य दाताओं से आग्रह करती हूं वे हमारे सबसे गरीब सदस्य देशों को पूरे दो साल के लिए अतिरिक्त ऋण राहत सेवा देने की हमारी क्षमता को बढ़ाने में मदद करें। पिछले हफ्ते ही विश्व बैंक (World Bank) ने कहा है कि वह 15 महीनों में आपातकालीन सहायता में 160 बिलियन अमेरिकन डॉलर देगा, जिससे वायरस से पीड़ित देशों की मदद की जाएगी। इसमें 76 गरीब देशों से लेकर अन्य सरकारों तक के कर्ज अदायगी के 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर भी शामिल हैं।