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कोरोना रोगियों में विशिष्ट इम्यून सिस्टम पैटर्न की पहचान, इलाज करने में मिलेगी मदद

अमेरिका की पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ने कोरोना रोगियों में विशिष्ट इम्यून सिस्टम पैटर्न की पहचान की है। इससे कोरोना वायरस के इलाज का नया तरीका खोजने में मिलेगी मदद।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 09:36 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 09:36 PM (IST)
कोरोना रोगियों में विशिष्ट इम्यून सिस्टम पैटर्न की पहचान, इलाज करने में मिलेगी मदद
कोरोना रोगियों में विशिष्ट इम्यून सिस्टम पैटर्न की पहचान, इलाज करने में मिलेगी मदद

वाशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना के गंभीर रोगियों में अमेरिकी शोधकर्ताओं ने विशिष्ट इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) पैटर्न की पहचान की है। इस पैटर्न को 'इम्यूनोटाइप्स' के नाम से भी जाना जाता है। एक अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि यह पैटर्न कैसे रोग की गंभीरता से जुड़ा हुआ था। दावा किया जा रहा है कि इसकी मदद से कोरोना वायरस के इलाज का नया तरीका खोजा जा सकता है। साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, हालांकि कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित लोगों में इम्यून सिस्टम के खराब होने का एक सामान्य पैटर्न भी दिखा गया है, जिसके बारे में अभी तक बहुत ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है।

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अमेरिका की पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डिविज मैथ्यू ने कहा, 'मरीजों के इम्यूनटोपोलॉजी मैप का अध्ययन कर हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि विशिष्ट मरीजों के लिए किस प्रकार का इलाज फायदेमंद हो सकता है।' शोधकर्ताओं ने कहा कि अब तक बहुत कम मरीजों की इस तरीके से जांच की गई है और ऐसे अध्ययन भी सीमित संख्या में ही हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी जारी है, दुनियाभर के वैज्ञानिक इससे लड़ने में ह्यूमन इम्यून रिस्‍पॉन्‍स (मानव प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया) की विशेषताओं की जांच कर रहे हैं।

इस शोध में अब तक सामने आए निष्कर्षों को विस्तार पूर्वक अध्ययन किया गया है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 125 कोरोना मरीजों के इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं का बारीकी से अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अध्ययन के लिए उन्होंने फ्लो साइटोमेट्री नामक विधि का उपयोग किया, जो मरीजों की प्रतिरक्षा कोशिकाओं का आकलन करने के साथ-साथ कोशिकाओं की आबादी की भौतिक और रासायनिक विशेषताओं का पता लगाने वाली एक तकनीक है।

फेफड़ों में विचित्र फंगस के असर की हो रही जांच

यह तो सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस से फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है और सांस लेने में परेशानी होने लगती है। अब एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने पहली बार फेफड़ों के संक्रमण में शामिल हाइब्रिड फंगस का पता लगाया है। शोधकर्ता कोविड-19 में इसकी भूमिका की जांच कर रहे हैं। 'एस्परजिलस' के कारण अब तक कई कोरोना रोगियों की मृत्य हो चुकी है। बता दें कि एस्परजिलस फंगस का ही एक प्रकार है जो पहले केवल मिट्टी या पौधों में पाया जाता था। पहली बार अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं टीम ने अस्पताल में मरीजों के भीतर इसकी मौजूदगी का पता लगाया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस फंगस का जीनोम सीक्वेंस बताता है कि यह हाइब्रिड है। अपनी दो अन्य प्रजातियों की तुलना में यह दो गुना ज्यादा दवा प्रतिरोधी है। जर्नल करंट साइंस में प्रकाशित इस अध्ययन में जर्मनी, अमेरिका, ब्राजील के शोधकर्ता शामिल थे। जिन्होंने फंगस के नमूने लेकर इसकी जांच की थी।


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