अल्जाइमर का खतरा कम करने वाले जेनेटिक वैरिएंट की पहचान, पढ़ें अध्ययन में सामने आई बातें
उम्र कुछ भी हो शारीरिक सक्रियता हमेशा फायदा ही पहुंचाती है। हालिया शोध के मुताबिक।
वॉशिंगटन, एजेंसी। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जेनेटिक वैरिएंट की पहचान की है, जो अल्जाइमर के खतरे से बचाने में कारगर है। अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है। ऐसे व्यक्तियों के लिए लोगों को पहचानना और बातचीत करना भी मुश्किल होने लगता है। वैज्ञानिकों ने शोध में एक ऐसे जेनेटिक वैरिएंट की पहचान की है, जो टायरोसिन फॉस्फेटेसेस नाम के प्रोटीन की गतिविधि को रोकने में सहायक होता है। अल्जाइमर के विकास में इस प्रोटीन की अहम भूमिका पाई गई है।
चूहों पर किए गए प्रयोग में पहले भी यह बात सामने आई है कि इस प्रोटीन की गतिविधि को रोकना अल्जाइमर से बचाव में मददगार हो सकता है। पहली बार मनुष्यों में इस बात की पुष्टि हुई है। शोध के नतीजे इसलिए भी उत्साहजनक हैं, क्योंकि इनके आधार पर इस प्रोटीन को निशाना बनाने में सक्षम दवाएं विकसित करने का रास्ता खुल सकता है। (एएनआइ)
बुजुर्गो में सेहत से जुड़े खतरे कम करती है शारीरिक सक्रियता
उम्र कुछ भी हो, शारीरिक सक्रियता हमेशा फायदा ही पहुंचाती है। हालिया शोध के मुताबिक, 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोग यदि शारीरिक रूप से सक्रिय रहें तो उनमें कैंसर, अवसाद, याददाश्त से जुड़ी परेशानियों और असमय मौत का खतरा कम हो जाता है। वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष बुजुर्गो की शारीरिक सक्रियता और स्वास्थ्य के बीच संबंधों को लेकर हुए विभिन्न अध्ययन से जुटाए गए आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर दिया।
शोधकर्ता कोनोर कनिंगम ने कहा, 'आमतौर पर हम शारीरिक सक्रियता को शारीरिक स्वास्थ्य के नजरिये से ही देखते हैं। विभिन्न अध्ययनों के विश्लेषण से शारीरिक सक्रियता और मानसिक स्वास्थ्य के बीच भी संबंध सामने आया। नतीजे बताते हैं कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से अवसाद, डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी मानसिक बीमारियों से बचे रहना भी संभव हो सकता है। इसके अतिरिक्त यह असमय मौत के खतरे से बचाने में भी सहायक है।' (एएनआइ)