मानवीय भूल की वजह से होती है डाटा चोरी : आइबीएम
रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराधियों ने अब अपना ध्यान रैनसमवेअर वायरस जैसे घातक साइबर हमले की तरफ केंद्रित कर लिया है।
सैन फ्रांसिस्को, आइएएनएस। कंप्यूटर क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी आइबीएम ने साइबर सिक्योरिटी से संबंधित एक नई रिपोर्ट में डाटा चोरी के लिए मानवीय भूल को जिम्मेदार पाया है। 2018 आइबीएम एक्स-फोर्स थ्रेट इंटेलीजेंस इंडेक्स रिपोर्ट के हवाले से गुरुवार को आइबीएम ने कहा कि 2017 में क्लाउड (ऑनलाइन स्टोरेज) संबंधित साइबर हमलों में जहां 424 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, डाटा चोरी के मामलों में 25 फीसद की कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराधियों ने अब अपना ध्यान रैनसमवेअर वायरस जैसे घातक साइबर हमले की तरफ केंद्रित कर लिया है। अब वे डाटा अपने पास स्टोर ही नहीं करते बल्कि उसे लॉक (जिसका कोई प्रयोग न कर सके) या डिलीट कर देते हैं।
कंप्यूटर की गलत सेटिंग से डाटा चोरी
आइबीएम के तकनीकी विशेषज्ञ वेंडी व्हिटमोर ने कहा कि,'2017 में साइबर अपराधियों ने 2.9 अरब रिकॉर्ड की सुरक्षा में सेंध लगाई जबकि 2016 में चार अरब रिकॉर्ड साइबर अपराधियों के निशाने पर थे।' वेंडी ने कहा, कंप्यूटर सिस्टम की सही सेटिंग का न होना भी सुरक्षा में सेंध लगने का प्रमुख कारण है। 70 फीसद मामलों में क्लाउड कंप्यूटर प्रणाली की गलत सेटिंग की वजह से ही साइबर अपराधी डाटा चोरी करने में कामयाब होते हैं। 2017 में वनाक्राइ, नोटपेट्या और बैड रैबिट जैसे वायरस ने दुनिया भर के कई उद्योग इकाइयों को नुकसान पहुंचाया। इनमें सबसे ज्यादा हमले बैंकिंग इंडस्ट्री पर किए गए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में पूरी दुनिया के उद्योगों को अकेले रैनसमवेअर वायरस ने आठ सौ करोड़ डॉलर (करीब 52 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान पहुंचाया है।