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चुंबकीय क्षेत्र के बदलने पर मनुष्य के मस्तिष्क की तरंगों में होता है बदलाव

शोधकर्ताओं ने इसका प्रमाण दिया है कि मानव मस्तिष्क की तरंगे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया करती हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 10:21 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 10:21 AM (IST)
चुंबकीय क्षेत्र के बदलने पर मनुष्य के मस्तिष्क की तरंगों में होता है बदलाव
चुंबकीय क्षेत्र के बदलने पर मनुष्य के मस्तिष्क की तरंगों में होता है बदलाव

वाशिंगटन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों का कहना है कि कई लोग ऐसे होते हैं जो अनजाने में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन का पता लगाने में सक्षम होते हैं। उनका दावा है कि उन्हें मनुष्य की एक नई भावना के ठोस सुबूत मिले हैं, जिसे चुंबकत्व का भाव कहते हैं।

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अमेरिका की कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और जापान की यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के शोधकर्ताओं ने इसका प्रमाण दिया है कि मानव मस्तिष्क की तरंगे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों पर प्रतिक्रिया करती हैं। ई-न्यूरो जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक कोनी वैंग ने बताया कि जब कई जानवरों में चुंबकत्व का भाव होता है तो इंसानों में यह क्यों नहीं हो सकता?

उदाहरण के तौर पर मधुमक्खी, सैल्मन, कछुए, पक्षी, व्हेल और चमगादड़ अपना रास्ता खोजने के लिए भूचुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करते हैं। कुत्ते को जमीन में दफन मैग्नेट का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित भी किया जा सकता है। लंबे समय से यह सिद्धांत दिया गया है कि मनुष्यों में भी इस तरह की क्षमता है। जोसेफ किस्र्चविंक ने बताया कि अरस्तू ने व्याख्या की है कि मनुष्य में पांच आधारभूत भाव- देखना, सुनना, स्वाद, गंध और स्पर्श होते हैं। हालांकि, उन्होंने गुरुत्वाकर्षण, तापमान, दर्द, संतुलन और कई आंतरिक उत्तेजनाओं पर विचार नहीं किया, जिन्हें अब हम जानते हैं। यह तंत्रिका तंत्र का हिस्सा हैं।

इस तरह प्रयोग किया

शोधकर्ताओं ने एक अलग रेडियोफ्रीक्वेंसी शील्डेड चैंबर बनाया। इसके बाद उस चैंबर में घोर अंधकार में प्रतिभागियों को एक घंटे तक मौन बैठने को कहा गया। इस दौरान उन्होंने चुपचाप चैंबर में चारो ओर चुंबकीय क्षेत्र स्थानांतरित कर दिया। इसके बाद प्रतिभागियों की मस्तिष्क तरंगों को सिर पर 64 स्थानों पर लगे इलेक्ट्रोड के माध्यम से मापा। इस परीक्षण में विभिन्न आयु वर्ग के 34 प्रतिभागी शामिल किए गए थे। इन दौरान पाया गया कि कुछ प्रतिभागियों ने कुछ भी महसूस नहीं किया, लेकिन कुछ की मस्तिष्क की तरंगों में चुबंकीय क्षेत्र के साथ परिवर्तन महसूस हुआ। विशेष रूप से शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क में अल्फा रिदम को ट्रैक किया, जोकि आठ से 13 हट्र्ज के बीच में होता है। यह एक उपाय है जिसके माध्यम से यह पता चलता है कि मस्तिष्क व्यस्त है या आराम कर रहा है या फिर ऑटो पायलट मोड में है।

जब मानव का मस्तिष्क आराम में होता है तो अल्फा पॉवर अधिक होती है और जब मस्तिष्क किसी चीज पर ध्यान केंद्रित कर रहा होता है तो इसकी अल्फा पावर घट जाती है। जब हम किसी भी चीज को छूते, देखते या सुनते तो अल्फा पावर कम हो जाती है। प्रयोग के दौरान यही देखा गया कि जब प्रतिभागी चुंबकीय प्रभाव में आए तो उनकी अल्फा पावर घटने लगी।


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