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कितने असली हैं फर्जी खातों पर फेसबुक के आंकड़े, जानें कैसे होती है इनपर कार्रवाई

फेसबुक ने एक रिपोर्ट में कहा था कि एक्टिव यूजर्स में से तीन से चार फीसद फर्जी हैं। उसने अपने प्लेटफॉर्म पर करीब 90 फीसद फर्जी खातों को बनाए जाने के कुछ ही देर में ब्लॉक कर दिया।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 08:54 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 09:47 PM (IST)
कितने असली हैं फर्जी खातों पर फेसबुक के आंकड़े, जानें कैसे होती है इनपर कार्रवाई
कितने असली हैं फर्जी खातों पर फेसबुक के आंकड़े, जानें कैसे होती है इनपर कार्रवाई

द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। सोशल मीडिया की बात हो और फेसबुक की चर्चा ना हो, ऐसा नहीं हो सकता। फेसबुक आज की तारीख में सोशल मीडिया का पर्याय बन चुका है। यही वजह है कि करोड़ों यूजर्स के दम पर फेसबुक की विज्ञापन से कमाई भी बढ़ रही है। लेकिन इन आंकड़ों के बीच एक नया सवाल उठने लगा है। वह सवाल है फेसबुक के असली यूजर्स की संख्या को लेकर।

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फेसबुक अपने विज्ञापनदाताओं को 2.27 अरब असली यूजर्स का हवाला देता है। यह उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और अफ्रीका की कुल आबादी से भी ज्यादा है। लेकिन सवाल है कि क्या सच में इतने लोग फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं। इसका जवाब इसमें छिपा है कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी अकाउंट कितने हैं। फेसबुक उन खातों को फर्जी मानता है, जिन्हें विशेषतौर पर नियमों के उल्लंघन के लिए बनाया गया हो। अक्सर ऐसे खाते लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं।

संख्या को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं

इस परिभाषा के आधार पर फेसबुक के कितने खाते फर्जी हैं, इसकी संख्या स्पष्ट नहीं है। फेसबुक समय-समय पर फर्जी खातों की जानकारी देता रहता है, लेकिन उन आंकड़ों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। यहां तक कि शेयर बाजार फाइलिंग में खुद कंपनी ने यह माना था कि ऐसे खातों की पहचान बहुत स्पष्ट नहीं है। फर्जी खातों की असली संख्या कंपनी के अनुमान बहुत अलग हो सकती है।

सालभर में तीन अरब फर्जी खाते बंद

फेसबुक के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2017 से सितंबर, 2018 के 12 महीने में फेसबुक ने 2.8 अरब नए फर्जी खातों को बंद किया। यानी रोजाना औसतन 77 लाख फर्जी खाते बंद किए गए। इससे पहले फेसबुक ने एक रिपोर्ट में कहा था कि एक्टिव यूजर्स में से तीन से चार फीसद फर्जी हैं। कंपनी का कहना है कि उसने अपने प्लेटफॉर्म पर करीब 90 फीसद फर्जी खातों को बनाए जाने के कुछ ही देर में ब्लॉक कर दिया। फेसबुक में एनालिटिक्स के वाइस प्रेसीडेंट एलेक्स स्कल्ट्ज का कहना है कि ऐसा इसलिए संभव हो पाता है, क्योंकि फेक अकाउंट बनाने वाले ज्यादातर नौसिखिया लोग होते हैं। ऐसे लोग अक्सर ऑटोमेटेड तरीके से अकाउंट बनाते हैं, जिसे आसानी से पकड़ लिया जाता है।

डुप्लीकेट खाते बड़ी समस्या

फर्जी खातों पर लगाम की दिशा में डुप्लीकेट खाते बड़ी बाधा बनते हैं। कई बार ऐसा होता है कि एक ही व्यक्ति फेसबुक पर एक से ज्यादा अकाउंट बना लेता है। कंपनी के लिए ऐसे खाते पहचानना ज्यादा मुश्किल होता है। ऐसे खातों पर कंपनी तब तक कोई कार्रवाई नहीं करती है, जब तक कि उससे ऐसी गतिविधि ना हो, जिससे कोई खतरा हो। फेसबुक के नियमों के हिसाब से डुप्लीकेट खाता नहीं रखा जा सकता है। बावजूद इसके अनुमान है कि ऐसे खातों की संख्या फर्जी खातों से भी ज्यादा है।

पैसों पर भारी है फेसबुक का चस्का

फेसबुक की प्रयोग को लेकर हाल में एक चौंकाने वाला अध्ययन भी सामने आया है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि फेसबुक की लत ऐसी है कि बहुत से लोग महीने के 100 डॉलर (करीब 7,000 रुपये) लेकर भी इसे छोड़ने को तैयार नहीं। अध्ययन में करीब 3,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। सभी को एक महीने तक फेसबुक से पूरी तरह दूरी बनाकर रखने का कहा गया था। फेसबुक से दूरी रखने से लोगों के मूड पर भी हल्का सकारात्मक असर देखा गया। कुछ प्रतिभागी इस अनुभव से खुश थे। वहीं कुछ का कहना था कि फेसबुक से दूर रहने पर उन्हें इसकी कीमत का एहसास हुआ।


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