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कोशिकाओं को कैसे धोखा देता है कोरोना, वैज्ञानिकों ने लगाया पता, दवा बनाने में मिलेगी मदद

विज्ञानियों ने एक ऐसे मॉलिक्यूल स्ट्रक्चर की पहचान की है जिसका इस्तेमाल कोरोना वायरस मनुष्य की कोशिकाओं को धोखा देने के लिए करता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 06:04 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:04 AM (IST)
कोशिकाओं को कैसे धोखा देता है कोरोना, वैज्ञानिकों ने लगाया पता, दवा बनाने में मिलेगी मदद
कोशिकाओं को कैसे धोखा देता है कोरोना, वैज्ञानिकों ने लगाया पता, दवा बनाने में मिलेगी मदद

ह्यूस्‍टन, पीटीआइ। भारतवंशी समेत विज्ञानियों के एक दल ने कोरोना संक्रमण की दवा बनाने का नया रास्ता खोजा है। विज्ञानियों ने एक ऐसे मॉलिक्यूल स्ट्रक्चर की पहचान की है, जिसका इस्तेमाल कोरोना वायरस मनुष्य की कोशिकाओं को धोखा देने के लिए करता है। इस मॉलिक्यूल के कारण कोशिकाएं कोरोना के जेनेटिक सिक्वेंस को अपने जैसा ही समझने लगती हैं और वायरस आसानी से शरीर में प्रसार करने लगता है।

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विज्ञान पत्रिका नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications) में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, मॉलिक्यूल एनएसपी10 (molecule nsp10) वायरस के एमआरएनए को बदलकर उसे संक्रमित कोशिका के एमआरएनए जैसा बना देता है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के शोधकर्ताओं ने बताया कि इस बदलाव के जरिये एनएसपी10 वायरस को कोशिका की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचा लेता है। शोधकर्ता योगेश गुप्ता ने कहा, 'यह एक ठगी जैसा है। वायरस इस बदलाव के जरिये कोशिकाओं को मूर्ख बना देता है।'

शोधकर्ताओं ने बताया कि इसी मॉलिक्यूल (molecule nsp10) की वजह से कोशिकाएं वायरस के एमआरएनए को अपना ही समझने लगती हैं और वायरस का विरोध नहीं करती हैं। इस मॉलिक्यूल को निशाना बनाकर कोविड-19 संक्रमण का कारण बनने वाले वायरस को खत्म करना संभव हो सकता है। अगर दवा की मदद से एमआरएनए बदलने की वायरस की प्रक्रिया को रोका जा सके, तो शरीर की कोशिकाएं स्वत: ही वायरस को बाहरी मानते हुए मिटाने लगेंगी।

एक अन्य शोधकर्ता रॉबर्ट रोमैस ने कहा कि शोध का नतीजा इस वायरस को समझने की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि है। इन नतीजों की मदद से हम यह जानने में सक्षम हुए हैं कि कोविड-19 का कारण बनने वाले कोरोना वायरस के किस हिस्से में एनएसपी10 मॉलिक्यूल (molecule nsp10) होता है और कैसे यह वायरस के प्रसार में मदद करता है। एंटी वायरल दवा की मदद से इस मॉलिक्यूल को निष्प्रभावी बनाना संभव हो सकता है। इससे वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी।


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