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चांद पर पानी मिलने की उम्मीद और प्रबल हुई, नासा ने पानी के अणु खोजने में पाई सफलता

यदि वैज्ञानिक चांद पर पानी खोजने में सफल होते हैं तो इससे आने वाले चंद्र मिशन काफी किफायती हो जाएंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 06:53 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 06:53 PM (IST)
चांद पर पानी मिलने की उम्मीद और प्रबल हुई, नासा ने पानी के अणु खोजने में पाई सफलता
चांद पर पानी मिलने की उम्मीद और प्रबल हुई, नासा ने पानी के अणु खोजने में पाई सफलता

वाशिंगटन, आइएनएस। चांद पर पानी मिलने की उम्मीद और प्रबल हो गई है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के लुनर रिकॉनसाइंस ऑर्बिटर (एलआरओ) यान ने पृथ्वी से नजर आने वाले चंद्रमा के हिस्से में पानी के अणु खोजने में सफलता पाई है। हालांकि, ये अणु एक जगह पर स्थिर नहीं है। नासा जल्द ही अंतरिक्षयात्रियों को चांद पर भेजने की योजना में है, ऐसे में यह खोज काफी मददगार साबित हो सकती है।

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2009 में लांच हुए एलआरओ में लगे लीमैन अल्फा मैपिंग प्रोजेक्ट (लैंप) उपकरण की मदद से चांद की सतह से लगे पानी के अणुओं की परत का पता लग पाया है। मिशन से जुड़े वैज्ञानिक जॉन केलर ने कहा, 'सालों से एलआरओ द्वारा जुटाई जानकारियों के विश्लेषण से यह सफलता मिली है। अब चांद पर पानी की मौजूदगी के रहस्य का पता चल सकेगा।'

बीते दशक तक माना जा रहा था कि चांद की सतह बंजर है, लेकिन हाल के अध्ययनों से यह मान्यता बदलती जा रही है। ताजा अध्ययन के अनुसार, चांद की सतह पर मौजूद पानी के अणु की मात्रा व स्थिति बदलती रहती है। उच्च अक्षांशों पर इसकी मात्रा अधिक है। सतह के गर्म होने के साथ ही इसकी स्थिति बदल जाती है।

लंबी अवधि में हुआ है अणु का निर्माण

कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि सूर्य से चलने वाली हवा जिनमें आवेशित कण होते हैं, उनमें मौजूद हाइड्रोजन आयन पानी के अणु का स्त्रोत है। ऐसा होने पर जब पृथ्वी चांद व सूर्य के बीच आ जाती है, तब इन अणुओं को नष्ट हो जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता है। लैंप द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, सौर हवा के ना पहुंचने और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव के बावजूद भी पानी के अणु की मात्रा घटती नहीं है। इससे स्पष्ट है अणु का निर्माण सौर हवा से नहीं हुआ है। बल्कि लंबे समय से यह चांद की सतह पर विकसित हो रहे थे।

किफायती हो सकते हैं चंद्र मिशन

इस अध्ययन के बाद यदि वैज्ञानिक चांद पर पानी खोजने में सफल होते हैं तो इससे आने वाले चंद्र मिशन काफी किफायती हो जाएंगे। प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक अमांदा हेंड्रिक्स ने कहा, 'अंतरिक्ष यात्री चांद के पानी का इस्तेमाल ईंधन बनाने और विकिरण से बचाने वाले उपकरणों के लिए कर सकते हैं। इससे मिशन पर आने वाला खर्च कई गुना कम हो जाएगा।'


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