डॉयबिटीज का संकेत है हैंडग्रिप की कम होती ताकत, मांसपेशियों की कम होती ताकत देती है कई बीमारियों को न्यौता
अगर आपके हाथ की पकड़ यानी हैंडग्रिपिंग की क्षमता कमजोर हो रही है तो हो सकता है कि आपमें टाइप-टू डायबिटीज के लक्षण पैदा हो रहे हैं। वैज्ञानिकों ने किया आगाह...
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। अगर आपके हाथ की पकड़ (हैंडग्रिप) कमजोर हो रही है तो हो सकता है कि आपमें टाइप-टू डायबिटीज के लक्षण पैदा हो रहे हैं। 776 ऐसे महिला और पुरुष जिन्हें मधुमेह नहीं था, उन पर 20 वर्षों तक किए गए अध्ययन से यह निष्कर्ष सामने आया है। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल एंड ईस्टर्न फिनलैंड के वैज्ञानिकों के मुताबिक हैंडग्रिप की क्षमता बढ़ने से टाइप-टू डायबिटीज का खतरा 50 फीसद कम हो जाता है। यह शोध एनाल्स ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। शोध में कहा गया है कि मांसपेशियों की कम होती ताकत (जिसे हैंडग्रिप से मापा जा सकता है) शीघ्र मौत, दिल की बीमारी और विकलांगता से जुड़ी है।
कुछ समय पहले तक हैंडग्रिप की क्षमता और टाइप-टू डॉयबिटीज के बीच किसी प्रकार के तालमेल के सुबूत नहीं थे। इस विषय पर 10 प्रकाशित शोध की हालिया समीक्षा के दौरान केवल एक शोधकर्ता ने अपने अध्ययन में यह बात कही थी कि हैंडग्रिप की क्षमता ज्यादा होने से टाइप-टू डॉयबिटीज का खतरा 27 फीसद तक कम हो जाता है। इन निष्कर्षो से यह पता चलता है कि हैंडग्रिप की ताकत का इस्तेमाल टाइप-टू डॉयबिटीज का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
नवीनतम अध्ययन में ब्रिस्टल मेडिकल स्कूल और ईस्टर्न फिनलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड क्लीनिकल न्यूट्रिशियन के शोधकर्ताओं ने 60 से 72 आयु वर्ग के बीच 776 महिला-पुरुषों की हैंडग्रिप की क्षमता का 20 साल तक अध्ययन किया। ये सभी ऐसे लोग थे, जिन्हें मधुमेह की बीमारी नहीं थी। इस दौरान इन लोगों से डाइनेमोमीटर को पूरी शक्ति के साथ पांच सेकेंड तक पकड़ने के लिए कहा जाता था। लगातार अध्ययनों के परिणामों से पता चलता है कि हैंडग्रिप की ताकत में वृद्धि के साथ टाइप-टू डॉयबिटीज होने की संभावना लगभग 50 फीसद कम हो जाती है। बता दें कि डाइनेमोमीटर एक प्रकार की डिवाइस है जो मनुष्य, पशु और यंत्र द्वारा प्रयुक्त बल या शक्ति मापने के काम आती है।