H-1B वीजा के तहत US में शिक्षा प्राप्त करने वाले विदेशी युवकों को मिले प्राथमिकता, US संसद में प्रस्ताव
भारत और चीन के आइटी एक्सपर्ट सबसे अधिक अमेरिका के गैर प्रवासी वीजा लाभान्वित होते हैं।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के दोनों चैंबरों में सांसदों द्वारा एक कानून पेश किया गया है जो कुशल गैर प्रवासी वीजा में बड़े बदलाव को लेकर है। इसमें H-1B वर्क वीजा की प्रक्रिया में अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले विदेशी टेक्नोलॉजी पेशेवरों को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव है। दरअसल, गैर-प्रवासी वीजा के साथ एच -1 बी के तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी श्रमिकों को काम पर रखती हैं। इसमें विशेषकर भारतीय आईटी एक्सपर्ट होते हैं। मौजूदा हालात में इस वीजा के आधार पर अमेरिका में पांच लाख से अधिक विदेशी नागरिक काम कर रहे हैं। भारत और चीन के नागरिक इस वीजा से विशेष रूप से लाभान्वित होते हैं।
अमेरिका में ट्रंप के इमिग्रेशन एडवाइजर इस पर एक योजना तैयार करने में जुटे हैं। इस योजना के तहत तकनीकी रूप से कुशल पेशेवरों के लिए लागू एच -1 बी, एक निश्चित अवधि के लिए काम कर रहे लोगों के लिए लागू एच-2 बी और छात्र वीजा पर प्रतिबंध लागू होने की संभावना है।
दूसरी ओर रिपब्लिकन सांसदों ने राष्ट्रपति पर दबाव बनाते हुए देश में बेरोजगारी की दर कम होने तक अनुबंध श्रमिकों के लिए वीजा रद करने की मांग की है। कोराना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए अमेरिका में लागू लॉकडाउन ने यहां के करीब साढ़े तीन करोड़ लोगों को बेरोजगार कर दिया। यहां बेरोजगारी के दर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है।
हाउस ऑफ रिपब्लिकंस में यह बिल पासक्रेल, पॉल गोसार, रो खन्ना, फ्रैंक पैलोन और लांस गुडेन द्वारा पेश किया गया वहीं सीनेट में चक ग्रेसली, डिक डर्बन की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया गया। नए सिस्टम के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को H-1B वीजा प्राप्त होगा। इसके अलावा एडवांस डिग्री धारकों और अधिक सैलरी वालों को यह वीजा दिया जाएगा। इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा और बेहतर सैलरी सुनिश्चित करना है और एच-1बी या एल-1 वीजाधारकों को अमेरिकी कर्मचारियों की जगह लेने से रोकना है।