भारतीय मूल के सुंदर पिचाई का प्रमोशन, पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के बने सीइओ
सुंदर पिचाई को गूगल ने मंगलवार को अपनी मूल कंपनी अल्फाबेट का सीईओ नियुक्त किया है। पिचाई ने इंटरनेट की दिग्गज कंपनी के सह-संस्थापक लैरी पेज की जगह ली है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। भारतीय मूल के सुंदर पिचाई को गूगल ने मंगलवार को अपनी मूल कंपनी अल्फाबेट का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है। पिचाई ने इंटरनेट की दिग्गज कंपनी के सह-संस्थापक लैरी पेज की जगह ली है। सह-संस्थापकों, शेयर धारकों और अल्फाबेट के निदेशक मंडल के सदस्यों के रूप में लैरी पेज और सर्गी ब्रिन की भागीदारी रहेगी।
गूगल के सह-संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने इस बात की घोषणा की है। अभी तक यह जिम्मेदारी गूगल के सह संस्थापक सर्गेई ब्रिन के पास थी। लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन का कहना है कि वो मानते हैं कि वक्त आ गया है जब उन्हें अपने परिवारिक दायित्व निभाने हैं। हालांकि दोनों कंपनी के बोर्ड में रहेंगे। 21 साल पहले यानी 1998 में सिलिकॉन वैली (कैलिफ़ोर्निया) की एक गराज में गूगल बनी थी। इसके बाद 2015 में कंपनी में कई बड़े बदलाव किए गए और एल्फ़ाबेट को इसकी मूल कंपनी के रूप में बनाया गया। गूगल आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है।
अल्फाबेट विभिन्न कंपनियों का एक समूह है। अल्फाबेट गूगल को वायमो (स्वचालित कार) वेरिली (जैव विज्ञान) कैलिको (बायोटेक आर एंड डी) साइडवॉक लैब (शहरी नवोन्मेष) और लून (गुब्बारे की सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट उपलब्धता) जैसे दूसरे संस्थानों से अलग करती है।
कर्मचारियों के नाम एक खत में पेज और ब्रिन ने कहा कि जब भी हमें लगता है कि कंपनी को चलाने का एक बेहतर तरीका है, तो हमने प्रबंधन को कभी नहीं रोका। बता दें कि अल्फाबेट का गठन 2015 में किया गया था, जो मूल कंपनी गूगल और अन्य परियोजनाओं जैसे कि स्वायत्त कार इकाई वेमो और स्मार्ट शहरों के समूह सिडवॉक लैब्स को एक अलग पहचान देता है।
भारत में जन्मे 47 वर्षीय पिचाई ऐसे समय में ये जिम्मेदारी उठा रहे हैं, जब पेज और ब्रिन बिल्कुल ही अनुपस्थित हैं और कंपनी को टेक जगत में अपनी स्थिति से संबंधित विवादों का सामना करना पड़ रहा है। पिचाई कंपनी में ये जगह ले रहे हैं जब कंपनी संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य जगहों पर गोपनीयता और डेटा प्रथाओं पर अविश्वास जांच और विवादों का सामना कर रही है। बता दें कि कंपनी ने कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में असफल रहने और कंपनी के शुरुआती आचार संहिता में संस्थापकों द्वारा जासूसी करने के आरोपों का भी सामना किया है।