आंख की तस्वीर से हृदय की बीमारी पकड़ेगा गूगल का नया सिस्टम
गूगल के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी एआइ प्रणाली विकसित की है जो केवल इंसानों की आंख की रेटिना की तस्वीर को स्कैन करके बता सकती है कि उसे हृदय की बीमारी है या नहीं।
वाशिंगटन (प्रेट्र)। किसी बीमारी का पता लगाने के लिए हमें कई टेस्ट कराने पड़ते हैं। फिर भी कई बार स्पष्ट नहीं हो पाता है कि वह बीमारी है या नहीं। कैसा हो कि अगर इन जांचों की जगह केवल आंख की तस्वीर से ही बीमारी का पता चल सके। इससे न केवल आम इंसान को सुविधा होगी, बल्कि चिकित्सकों का भी काम आसान हो सकेगा। संभावना है कि जल्द ही यह सुविधा इंसानों के लिए उपलब्ध हो सकेगी क्योंकि इसे गूगल के वैज्ञानिकों ने विकसित कर लिया है।
दरअसल, गूगल के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता(एआइ)) प्रणाली विकसित की है जो केवल इंसानों की आंख की रेटिना की तस्वीर को स्कैन करके बता सकती है कि उसे हृदय की बीमारी है या नहीं।
इसे तैयार करने वाली गूगल ब्रेन टीम की तरफ से लिली पेंग ने ब्लॉग पोस्ट के जरिए इस तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि 2,84,335 मरीजों के डाटा के आधार पर एक एल्गोरिदम को तैयार की। इसके आधार पर हम पूर्वानुमान लगाने में सक्षम थे कि किसी व्यक्ति को हृदय की बीमारी हो सकती है या नहीं।
इस तरह की जांच
एल्गोरिदम के सामने दो इंसानों की रेटिना की तस्वीरें रखी गईं। एक इंसान पिछले पांच साल से हृदय की बीमारी से पीड़ित था, जबकि दूसरा स्वस्थ था। एल्गोरिदम ने दोनों को बारे में सटीक जानकारी दी। एल्गोरिदम ने हृदय की बीमारी से पीड़ित के बारे में बताया कि इसमें 70 फीसदी हृदयाघात का खतरा है। रक्त की जांच कराने पर भी यही पता चला कि इस व्यक्ति में 72 फीसदी हार्ट अटैक का खतरा है।
अभी और परीक्षण की जरूरत
हालांकि अभी इस प्रणाली को चिकित्सकीय तौर पर अपनाने से पहले और परीक्षण जरूरी है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इलाज का सिर्फ एक बार आंकड़ा लिया जा रहा है और उससे कई चीजों के बारे में पता चल जाए, तो यह अच्छा है। इस तकनीक से डॉक्टरों को मदद मिलेगी।
यह भी चलेगा पता
गूगल द्वारा विकसित की गई इस प्रणाली के जरिए किसी की वास्तविक उम्र और ब्लड प्रेशर के अलावा यह भी पता चल सकेगा कि व्यक्ति धूमपान करता है या नहीं।
यह होगा लाभ
इस प्रणाली से चिकित्सकों को हृदय से संबंधित बीमारी का इलाज करने में आसानी होगी और समय की भी बचत होगी। समय रहते बीमारी का पता चलने पर मरीज का इलाज जल्द शुरू किया जा सकेगा, जिससे उसके ठीक होने की संभावना बढ़ जाएगी। इस सॉफ्टवेयर से जुड़े विशेषज्ञों का दावा है कि इसके बाद रक्त की जांच कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।