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कश्मीरी पंडितों ने अमेरिका में चीन के खिलाफ बुलंद की आवाज, कहा- सख्ती से पेश आए भारत

अमेरिका में कश्मीरी पंडितों से जुड़ी संस्था ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायसपोरा (Global Kashmiri Pandit Diaspora GKPD) ने कहा है कि भारत को चीन के साथ सख्ती से पेश आने की जरूरत है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 08:51 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 08:51 PM (IST)
कश्मीरी पंडितों ने अमेरिका में चीन के खिलाफ बुलंद की आवाज, कहा- सख्ती से पेश आए भारत
कश्मीरी पंडितों ने अमेरिका में चीन के खिलाफ बुलंद की आवाज, कहा- सख्ती से पेश आए भारत

वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका में कश्मीरी पंडितों से जुड़ी संस्था ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायसपोरा (जीकेपीडी) ने कहा कि भारत को चीन के साथ सख्ती से पेश आने की जरूरत है। जीकेपीडी द्वारा आयोजित वर्चुअल परिचर्चा में चर्चित भारतवंशी लेखक राजीव मल्होत्रा ने कहा कि चीन भरोसे के लायक नहीं है। वह सख्ती की भाषा ही समझता है। उन्होंने चीन के साथ व्यापार को लेकर भारत और अमेरिका द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत किया।

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उन्होंने कहा कि तिब्बत पर भारत को अब मुखर होना चाहिए। तिब्बत की निर्वासित संसद के सदस्य दोरजी सेतेन ने कहा कि इस साल तिब्बत पर चीन के कब्जे के 70 साल हो गए। दुनिया को हमारी मदद करनी चाहिए। वर्तमान कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित चर्चा में पाकिस्तान को भी बेनकाब किया गया। जीकेपीडी के संस्थापक सदस्य मोहन सप्रू ने दुनिया से अपील की कि वे पाकिस्तान और चीन का असली चेहरा पहचानें।

उधर, वाशिंगटन और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भारतीय-अमेरिकियों के एक समूह ने चीन की आक्रमकता और अशांत शिनजियांग क्षेत्र में उइगर अल्पसंख्यक समूह के मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ यहां प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारी रविवार को यूएस कैपिटल के सामने स्थित ऐतिहासिक राष्ट्रीय मॉल पर एकत्रित हुए। चीन विरोधी पोस्टर, बैनरों से लैस प्रदर्शनकारियों ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना और उसके नेताओं के खिलाफ नारेबाजी की।

विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि इन गर्मियों में जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही थी चीन दूसरे की जमीन पर कब्‍जा करने की कोशिश कर रहा था। चीन केवल लद्दाख में ही नहीं दूसरे क्षेत्रों में भी ऐसा ही कर रहा है। वक्‍त आ गया है कि दुनिया चीनी आक्रमता के खिलाफ एकजुट हो। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उइगर समुदाय के धार्मिक अधिकारों का हनन किया है। यही नहीं उसने हांगकांग के लोगों के मानवाधिकारों का भी हनन किया है।  


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