Flu Vaccine: सही समय पर लगवाएं इंफ्लूएंजा का टीका, तभी होगा असर
हाल में ही कई ऐसे मामले सामने आए जब टीका लगवाने के बाद भी व्यक्ति संक्रमित हो गया। इसके चलते कई लोग मानने लगे थे कि फ्लू के टीके बेअसर हो रहे हैं।
वाशिंगटन [न्यूयॉर्क टाइम्स]। इंफ्लूएंजा यानी फ्लू एक तरह का वायरस संक्रमण है, जिससे मरीज का श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। कई बार यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। बच्चों के साथ-साथ वयस्क खासकर गर्भवती महिलाएं व कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोगों में फ्लू के वायरस से संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक रहता है। इस बीमारी से बचने का सबसे आसान और असरकारक तरीका है ‘टीका’।
मौसमी फ्लू से बचने के लिए हर साल टीका लगवाना पड़ता है। हाल में ही कई ऐसे मामले सामने आए, जब टीका लगवाने के बाद भी व्यक्ति संक्रमित हो गया। इसके चलते कई लोग मानने लगे थे कि फ्लू के टीके बेअसर हो रहे हैं। हालांकि, वैज्ञानिक इससे सहमत नहीं है। उनका कहना है कि फ्लू का टीका बेअसर नहीं है। हां, सही व एक निश्चित समय पर टीका नहीं लगवाने से उसका असर कम जरूर हो जाता है।
सबसे पहले द इम्युनाइजेशन प्रैक्टिस एडवाइजरी कमेटी ने फ्लू टीके के असर को लेकर चेतावनी जारी की थी। उसका कहना था कि 65 या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों को फ्लू के सीजन से बहुत पहले टीका नहीं लगवाना चाहिए, क्योंकि कुछ महीनों में ही टीके के कारण शरीर में बनी एंटीबॉडी घटने लगती है। इसके बाद हुए कई शोधों में ही यही बात सामने आई है। यूरोप में हुए एक शोध के अनुसार, टीका लगने के एक-दो महीने बाद से ही उसका असर कम होने लगता है। 2011-12 में फ्लू का टीका लगवाने वाले लोगों पर शोध के बाद अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन का दावा है कि हर महीने टीके का असर छह से 11 फीसद तक कम होता है। ऐसे में टीका लगवाने का समय सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है।
कब लगाना चाहिए टीका?
सीजनल फ्लू से बचने के लिए टीका निश्चित समय पर ही लगाया जाना जरूरी है। ऐसा करने पर ही संक्रमण के समय व्यक्ति सुरक्षित रह सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, फ्लू सर्दी के मौसम में ज्यादा फैलता है। इसीलिए ना तो गर्मी के समय टीका लगाना चाहिए और ना ही सर्दी शुरू होने के बाद। ज्यादातर लोगों के लिए टीका लगवाने का सबसे सही वक्त अक्टूबर महीना हो सकता है।
किस तरह काम करता है टीका
टीका लगने के करीब दो हफ्ते बाद शरीर एंटीबॉडी तैयार करना शुरू करता है। ये एंटीबॉडी उन सभी वायरस से शरीर की रक्षा करते हैं, जो टीके में मौजूद था। चूंकि फ्लू के वायरस में लगातार बदलाव होता रहता है। इसीलिए प्रत्येक दो साल में फ्लू के नए टीके तैयार किए जाते हैं।
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