अमेरिका में प्रदर्शनों को समर्थन दे रहे जॉर्ज सोरोस, फंडिंग का आरोप
अमेरिका में हाल में ही अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शन को फंडिंग करने का आरोप जॉर्ज सोरोस पर लगाया जा रहा है।
वाशिंगटन, एपी। हंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर अरबपति उद्योगपति जॉर्ज सोरोस (George Soros) पर अश्वेत लोगों के पुलिस द्वारा मारे जाने को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को फंडिंग व समर्थन देने का आरोप है जिससे हाल के दिनों में अमेरिका का जन-जीवन परेशान हो गया है। अभी सोरोस पर प्रदर्शनकारियों को हायर करने और इनके आवागमन के लिए बसों की सुविधाएं मुहैया कराने का आरोपी बताया गया है।
सोरोस पर आरोप है कि वे प्रदर्शनकारियों को काम पर लगाते हैं और उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए किराए पर बस मुहैया कराते हैं। कुछ का कहना है कि उन्होंने लोगों को ईंटों का ढेर छिपाने की जगह मुहैया कराई है ताकि प्रदर्शनकारी इन्हें पुलिस पर या कांच के स्टोर पर फेंक सकें। रिपब्लिकन समेत दक्षिणपंथी लोगों की सोरोस पर लिखी जा रही ऑनलाइन पोस्ट पिछले कुछ हफ्तों में बढ़ गई हैं। इनमें रूढ़िवादी समूहों के ऑनलाइन एड भी शामिल हैं। इनमें अधिकारियों से घरेलू आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने और जॉर्ज सोरोस के दशकों लंबे भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की जा रही है।
89 वर्षीय सोरोस (89) ने अपनी निजी संपत्ति में से अरबों डॉलर का दान दुनिया भर में उदारवादी एवं निरंकुशता विरोधी कार्यक्रमों में दी है जिसके कारण वह दक्षिणपंथी लोगों के निशाने पर रहते हैं। दशकों से सोरोस को यहूदी विरोधी हमलों और साजिशों के सिद्धांतों का निशाना बनाया जाता रहा है। एंटी डिफमेशन लीग के एक आकलन के मुताबिक मई के अंत में महज चार दिनों में, सोरोस के बारे में नकारात्मक ट्विटर पोस्ट प्रतिदिन 20,000 से बढ़कर हर रोज 5,00,000 से ज्यादा हो गईं।
बता दें कि इस साल के शुरुआत में स्विटजरलैंड के दावोस शहर में आयोजित वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की सालाना बैठक में जॉर्ज सोरोस ने अपने बयानों से दुनियाभर में सुर्खियां हासिल कर ली थी। दरअसल उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग पर सत्ता में पकड़ बनाए रखने के लिए तानाशाही की ओर बढ़ने वाला नेता करार दिया था।