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जीन में बदलाव से भी लग सकती है अल्कोहल की लत, अवसाद बढ़ने पर खतरा ज्यादा

जीन में एक छोटा सा बदलाव भी व्‍यक्ति को अल्कोहल या अन्य मादक पदार्थों का लती बना सकती है। एक अध्‍ययन में पाया गया है कि अवसाद बढ़ने पर लती होने का खतरा ज्यादा होता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 11:01 AM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 11:03 AM (IST)
जीन में बदलाव से भी लग सकती है अल्कोहल की लत, अवसाद बढ़ने पर खतरा ज्यादा
जीन में बदलाव से भी लग सकती है अल्कोहल की लत, अवसाद बढ़ने पर खतरा ज्यादा
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। शोधकर्ताओं ने बताया कि जरूरी नहीं है कि किसी को अल्कोहल की लत उसके दोस्तों या गलत संगत की वजह से पड़ी हो। किसी भी मनुष्य के जीन में एक छोटा सा बदलाव उसे अल्कोहल या अन्य मादक पदार्थों का लती बना सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे शरीर में सीओएमटी नामक जीन पाया जाता है। यह जीन शरीर में डोपामाइन के प्रबंधन में मदद करता है। डोपामाइन एक प्रकार का रसायन है, जो व्यक्ति के अल्कोहल या अन्य मादक पदार्थ लेने के दौरान जारी होता है। 
कैसे एल्‍कोहलिक हो जाते हैं लोग
यूनिवर्सिटी ऑफ ओकलहोमा के कॉलेज ऑफ मेडिसिन के विलियम आर लोवालो ने सीओएमटी में हेरफेर (उत्परिवर्तन) पर फोकस किया है। उन्होंने बताया कि वे लोग जिनके सीओएमटी जीन में उत्परिवर्तन होता है वे अपने शुरुआती जीवन में अवसाद के प्रभावों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। वे छोटी से छोटी चीजों से प्रभावित होकर निराश हो जाते हैं या उन्हें अवसाद घेर लेता है। सीओएमटी जीन में बदलाव होने से अवसाद को लेकर ज्यादा जोखिम होने की वजह से व्यक्ति 15 साल से कम आयु में ही अल्कोहल व अन्य मादक पदार्थों की तरफ प्रेरित होता है। 
अवसाद बढ़ने पर लती होने का ज्यादा खतरा 
इस शोध का प्रकाशन पत्रिका ‘अल्कोहोलिज्म: क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल रिसर्च’ में किया गया है। लोवालो ने कहा, ‘शुरुआती जीवन की प्रतिकूलता हर किसी को अल्कोहल का लती नहीं बनाती।’ उन्होंने कहा, ‘शोध से पता चलता है कि जिन लोगों में इस जीन का उत्परिवर्तन होता है उनके जीवन में अवसाद के बढ़ने पर उनके अल्कोहल के लती होने का ज्यादा खतरा होता है।’ सीओएमटी जीन का काम यह होता है कि वह देखता है कि मस्तिष्क में डोपामाइन किस तरह से काम कर रहा है।
महिलाओं के लिवर के लिए शराब ज्यादा नुकसानदेह
वाशिंगटन, आइएएनएस। शोधकर्ताओं का कहना है कि ज्यादा शराब पीने से महिलाओं में लिवर को नुकसान का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। अमेरिका की मिसौरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। उन्होंने समान उम्र और वजन वाले नर और मादा चूहों पर परीक्षण किया। नर चूहों की अपेक्षा मादा में अल्कोहलिक लिवर इंजरी की दर ज्यादा पाई गई। भारतीय मूल के शोधकर्ता शिवेंद्र शुक्ला ने कहा, ‘हमने ज्यादा शराब सेवन को लेकर लिंग आधारित खास प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया। पाया कि महज तीन डिंक से मादा चूहों में इंजरी के लिए प्रतिक्रिया शुरू हो सकती है।’ 

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