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'फ्री कराची' कैंपेन का विज्ञापन अब अमेरिका के प्रमुख वेबसाइट्स पर

नुसरत ने पाकिस्तान और दक्षिण एशिया में शांति स्थापित करने वालों से अपील की है कि वे कराची और सिंध के अन्य इलाकों में हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 06 Mar 2018 11:36 AM (IST)Updated: Tue, 06 Mar 2018 11:51 AM (IST)
'फ्री कराची' कैंपेन का विज्ञापन अब अमेरिका के प्रमुख वेबसाइट्स पर
'फ्री कराची' कैंपेन का विज्ञापन अब अमेरिका के प्रमुख वेबसाइट्स पर

वाशिंगटन (एएनआई)। पाकिस्तान में जातीय मोहाजिरों की दुर्दशा को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए पिछले कुछ महीनों से 'फ्री कराची कैंपेन' चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में वैश्विक स्तर पर जागरुकता फैलाने के लिए कैंपेन ने एक नई शुरुआत की है। इस कैंपेन के इस कड़ी में अमेरिका के न्यूयॉर्क के प्रमुख अखबारों की वेबसाइट पर डिजिटल विज्ञापन दिए जा रहे हैं जिस पर मोहाजिर मुद्दे को प्रमुखता से छापा गया है। बताया जा रहा है कि द न्यूयॉर्क टाइम्स अमेरिका के प्रमुख अखबारों में से एक है जिसकी वेबसाइट की व्यूअरशिप दुनियाभर में है।

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अमेरिकी न्यूज वेबसाइट पर दिए जा रहे इस तरह के डिजिटल विज्ञापन की तरफ से अमेरिकी कांग्रेस से पाकिस्तान को दी जाने वाली सभी सैन्य और वित्तीय सहायता पर रोक लगाने की अपील की गई है। चूंकि पाकिस्तान की सेना लगातार मोहाजिरों पर अत्याचार कर रही है और आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह दे रही है। जिसके बाद फ्री कराची कैंपेन शुरु किया गया।

फ्री कराची कैंपेन के प्रवक्ता नदीम नुसरत ने कहा, द न्यूयॉर्क टाइम्स पर ये विज्ञापन कम से कम दो सप्ताह तक चलेंगे। इसके माध्यम से ये बताने की कोशिश की जाएगी कि पाकिस्तान से सिंध प्रांत के शहरी इलाकों में लोग किस तरह के अन्याय का सामना कर रहे हैं। नदीम ने बताया कि मोहाजिर पाकिस्तान में सबसे शिक्षित और सेक्युलर लोग होते हैं जो धार्मिक सहिष्णुता और सहअस्तित्व में विश्वास रखते हैं। बताया कि पाकिस्तान की जिहादी सेना ने इन इलाकों को धार्मिक चरमपंथ समूहों, जैसे तालिबान, जमात-उद-दावा, लश्कर ए झांगवी, अलकायदा, आईएसआईएस के हाथों में सौंप दिया है। ये सभी आतंकी समूह पाक खुफिया समूह के समर्थन में काम करते हैं। दूसरी तरफ पाक सैन्य संगठन भी मोहाजिरों को राजनीतिक नेतृत्व के आधार पर बांटने में व्यस्त है।

नदीम ने आगे कहा कि कराची में बोलने की आजादी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मोहाजिरों के लिए इसेक विरोध में आवाज उठाना ही एकमात्र विकल्प बच गया। आज आतंकियों को समर्थन करने वालों के प्रति जागरुकता फैलाना पूरे विश्व में जरुरी हो गया है। क्योंकि इस तरह के समर्थन से ही 9-11 जैसे हमले होते हैं। अगर इन पर रोक नहीं लगाता जाता है तो वैश्विक शांति के लिए ये खतरा बन सकते हैं।

नुसरत ने पाकिस्तान और दक्षिण एशिया में शांति स्थापित करने वालों से अपील की है कि वे कराची और सिंध के अन्य इलाकों में हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। उन्होंने आगे कहा कि कराची दुनिया की दूसरी सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है और यहां की जनसंख्या चरमपंथियों के खिलाफ एक प्रभावी ताकत बन सकती है। उन्होंने पाकिस्तान और पाकिस्तान के बाहर रह रहे लोगों को भी कराची कैंपेन में समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया। कहा कि सभी चुनौतियों के बावजूद ये कैंपेन दुनिया के हर मंच से चालू रहेंगे।

आपको बता दें कि फ्री कराची कैंपेन अमेरिकी शहर वाशिंगटन से इसी साल 15 जनवरी को शुरु हुआ था। मार्टिन लूथर किंग डे पर इसकी शुरुआत की गई थी। बड़ी संख्या में टैक्सियों पर 'फ्री कराची फ्रॉम स्टेट एक्रोसिटीज ऑफ पाकिस्तान' लिख कर वाशिंगटन की सड़कों पर मार्च निकाला गया था।

गौरतलब है कि मोहाजिर वे हैं जो 1947 के बाद विभाजन के समय भारत से विस्थापित होकर पाकिस्तान आकर बस गए थे। इन्हें मोहाजिर कहा जाता है जिसका मतलब है वे प्रवासी जो पाकिस्तान के दक्षिणी प्रांत सिंध में बस गए हैं। ये काफी शिक्षित और कुशल और समझदार होते हैं।

पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान और वित्तीय प्रबंधन और शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख ये सबी मोहाजिर थे। लियाकत अली खान की 1953 में पाकिस्तान के रावलपिंडी में हत्या कर दी गई थी। इसके तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना ने देश का अपने हाथों में ले लिया और मोहाजिरों को सरकारी नौकरियों और अन्य संस्थानों से बाहर निकाल दिया।


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