पाकिस्तान में मोहाजिरों की हालत गंभीर, मुक्त कराची कैंपेन के जरिए कर रहे हैं मदद की अपील
अभियान का मकसद विश्व का ध्यान कराची की ओर आकर्षित करना है। कराची में अभी तक मोहाजिरों को नागरिकों के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है।
वाशिंगटन,एएनआइ। वाशिंगटन में मुक्त कराची कैंपेन की एक बार फिर शुरुआत हो चुकी है। राजधानी की सड़कों पर टैक्सियां मुक्त कराची के बैनर के साथ सड़कों पर घूमती नजर आ रही हैं। कराची कैंपेन के प्रवक्ता नदीम नुसरत ने मंगलवार को कहा कि उनके अभियान का मकसद विश्व का ध्यान कराची की ओर आकर्षित करना है। कराची में अभी तक मोहाजिरों को नागरिकों के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है।
मोहाजिरों के पास नहीं हैं अधिकार
नदीम नुसरत ने एजेंसी से बात करते हुए कहा कि मोहाजिरों को कराची में नागरिकों के रूप में कभी स्वीकार नहीं गया। हमें तीसरे स्तर के नागरिकों के रूप में रहने के लिए मजबूर किया गया है। आतंकवादी पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं लेकिन मोहाजिरों के पास अधिकार नहीं हैं। हम कराची की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।
सिंंध प्रांत के लोगों के अधिकारों की लड़ाई
बता दें कि सोमवार को मुक्त कराची कैंपेन का दूसरा चरण शुरू किया गया। कैपेंन के तरह 100 टैक्सियां मुक्त कराची के बैनर के साथ सड़कों पर दौड़ रही है। यह टैक्सियां शहर के महत्वपूर्ण स्थानों जैसे व्हाइट हाउस, कैपिटल हिल, राज्य विभाग और सांसदों के कार्यालय तक भी जा रही हैं। यह लोग पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रह रहे लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
वाशिंगटन पोस्ट ने छापा था चार पेज का रैप
अमेरिका के लीडिंग अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने इस कैंपेन के तहत 4 पेज का रैप भी छापा था। इसमें कैंपेन के उद्देश्य बताए गए थे। यह कैंपेन पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर अाकर्षित कर रहा है। कराची में मानवाधिकारों के दुरुपयोग पर अमेरिकी सांसद भी अपनी आवाज उठा रहे हैं।
हजारों मोहाजिरों की हत्या
हजारों मोहाजिरों की हत्या
1992 से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा शहरी सिंध में 22,000 से अधिक उर्दू बोलने वाले मोहाजिरों की हत्या कर दी गई। 2013 के बाद से ही सैकड़ों मोहाजिर गायब हो गए हैं और इन मोहाजिरों को मार कर शवों को कराची के बाहरी इलाके में फेंक दिया गया। कराची शहर जो अकेले पाकिस्तान के राष्ट्रीय राजकोष के लिए लगभग 70 प्रतिशत और सिंध प्रांत के लिए 90 प्रतिशत से अधिक कमाता है, का राष्ट्रीय और प्रांतीय सरकारों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। शहर की आबादी सिंध प्रांत के शेष हिस्सों की आबादी से अधिक है।
कराची के एक अन्य प्रमुख मुद्दा शहर की कानून प्रवर्तन एजेंसियों में इसकी पूर्ण अनुपस्थिति है। यहां के लोगों को शहर के पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है। गैर-स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इन कराचियों को 'कब्जे वाले इलाके के लोगों' की तरह बर्ताव किया जाता है। नागरिकों का अपहरण कर लिया जाता है और अवैध राशि का भुगतान करने के बाद ही उन्हें छोड़ा जाता है। जो लोग भुगतान करने से मना कर देते हैं या भुगतान नहीं कर सकते हैं, उन्हें या तो फर्जी आरोपों में फंसा दिया जाता है या उन्हें मार दिया जाता है।
कौन हैं मोहाजिर
मोहाजिर उन लोगों को कहा जाता है जो भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद 1947 में भारत को छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। इन लोगों में काफी संख्या में ज्यादातर लोग सिंध प्रांत में रहने लगे थे।