अमेरिका में चार चीनी नागरिकों पर वीजा धोखाधड़ी का केस, PLA का सदस्य होने की बात छिपाई
संघीय अभियोजकों ने चीन के चार नागरिकों के खिलाफ वीजा धोखाधड़ी और चीनी सेना का सदस्य होने की बात छिपाने के आरोप में मामला दर्ज किया है।
वाशिंगटन, पीटीआइ। संघीय अभियोजकों ने चीन के चार नागरिकों के खिलाफ वीजा धोखाधड़ी और चीनी सेना (People Liberation Army, PLA) का सदस्य होने की बात छिपाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। न्याय विभाग ने गुरुवार को बताया कि एफबीआइ ने इनमें से तीन को गिरफ्तार कर लिया है जबकि फरार चौथा व्यक्ति सैन फ्रांसिस्को में चीनी वाणिज्य दूतावास में शरण लिए हुए है। सभी के खिलाफ वीजा धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। दोषी पाए जाने पर इन्हें अधिकतम 10 साल की कैद और 2,50,000 डॉलर (एक करोड़ 87 लाख रुपये) का जुर्माना लग सकता है।
एफबीआइ (संघीय जांच ब्यूरो) ने हाल ही में 25 से अधिक अमेरिकी शहरों में वीजाधारकों से पूछताछ की थी। इन सभी पर चीनी सेना से संबंधों को घोषित नहीं करने का संदेह था। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सहायक अटॉर्नी जनरल जॉन सी. डेमर्स ने कहा, 'चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के इन सदस्यों ने पीएलए से संबद्ध होने की बात छिपाते हुए वीजा के लिए आवदेन दिया था। उन्होंने कहा, 'हमारे खुले समाज और अकादमिक संस्थाओं का अनुचित लाभ उठाने की यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की एक और योजना का हिस्सा है। हम एफबीआई के साथ मिलकर इस संबंध में जांच जारी रखेंगे।'
एफबीआइ की राष्ट्रीय सुरक्षा शाखा के कार्यकारी सहायक निदेशक जॉन ब्राउन ने कहा कि इस घोषणा से पता चलता है कि चीन की सरकार घुसपैठ और शोषण करने के लिए चरम सीमा तक चली गई है। फिलहाल चीन के दूतावास ने इस संबंध में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं टेक्सॉस के सांसद माइकल मैककॉल (Michael McCaul) ने आरोप लगाया है कि ह्यूस्टन स्थित चीन के जिस दूतावास को बंद करने का आदेश दिया गया है वह अमेरिका में हो रही बायो मेडिकल रिसर्च चोरी करना चाहता था।
उल्लेखनीय है कि चीन ने शुक्रवार को अमेरिका से चेंगदू स्थित उसके वाणिज्य दूतावास को बंद करने को कहा है। हालांकि दूतावास को कब खाली करना होगा, इस विषय में कोई जानकारी नहीं दी गई है। बीजिंग के इस कदम को वाशिंगटन की उस कार्रवाई के बदले के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके तहत ट्रंप प्रशासन ने चीन से ह्यूस्टन स्थित अपने वाणिज्य- दूतावास को बंद करने को कहा था। अमेरिका के इस आदेश पर चीन ने कहा था कि अमेरिका का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सामान्य नियम और चीनी-अमेरिकी वाणिज्य समझौते का उल्लंघन है।