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पूर्व अमेरिकी राजदूत ने कहा, भारत समेत पड़ोसियों के साथ चीन का रवैया उकसाने वाला

चीन का रवैया उकसाने और अस्थिरता पैदा करने वाला है। भारतीय सीमा के अलावा दक्षिण चीन सागर ताइवान की खाड़ी और हांगकांग में उसकी हरकतों से तो यही जाहिर होता है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 04:47 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 04:47 PM (IST)
पूर्व अमेरिकी राजदूत ने कहा, भारत समेत पड़ोसियों के साथ चीन का रवैया उकसाने वाला
पूर्व अमेरिकी राजदूत ने कहा, भारत समेत पड़ोसियों के साथ चीन का रवैया उकसाने वाला

वाशिंगटन, प्रेट्र। चीन का रवैया उकसाने और अस्थिरता पैदा करने वाला है। भारतीय सीमा के अलावा दक्षिण चीन सागर, ताइवान की खाड़ी और हांगकांग में उसकी हरकतों से तो यही जाहिर होता है। भारत में अमेरिका के राजदूत रह चुके रिचर्ड वर्मा शांति और स्थिरता के लिए चीन को बड़ा खतरा मानते हैं। उसके इसी रवैये के कारण पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में आठ हफ्ते तक भारत और चीन की सेना आमने-सामने डटी रही।

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गलवन घाटी में हुए खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवानों की शहादत से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। इस संघर्ष में चीनी सैनिक भी मारे गए थे, पर चीन ने कोई ब्योरा नहीं दिया। क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता हो चुकी है।

पूर्व अमेरिकी राजनयिक का कहना है कि ड्रैगन विवादित दक्षिण चीन सागर के पूरे इलाके पर अपना दावा जताता है। ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया व वियतनाम इस दावे का विरोध करते हैं। चीन ने यहां कई कृत्रिम द्वीप का निर्माण कर अपना सैन्य अड्डा भी बना लिया है।

वर्मा का कहना है कि रणनीतिक दृष्टि से हिंद-प्रशांत क्षेत्र काफी अहमियत रखता है और अमेरिका चाहता है कि भारत यहां बड़ी भूमिका निभाए। चीन की बढ़ती सैन्य पैंतरेबाजी को देखते हुए भारत, अमेरिका और कुछ अन्य ताकतवर देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं।

उन्होंने याद दिलाया कि 1959 में सीनेटर कैनेडी ने एक जोशीले भाषण में कहा था कि एशिया का भविष्य भारत से जुड़ा हुआ है, इसलिए वह विशेष महत्व रखता है। बकौल रिच वर्मा, तब भारत के प्रबल समर्थक कैनेडी बिल्कुल सही थे। अमेरिकी नेता भारत का खुलकर समर्थन करें तो आज भी वह सही करेंगे। खुशी की बात है कि दोनों देशों के रिश्ते अब सही रास्ते पर हैं।

रिच वर्मा ने यह भी कहा कि एक भारतीय-अमेरिकी होने के नाते भारतीय छात्रों पर नए प्रतिबंधों और एशियाई मूल के लोगों के प्रति असहिष्णुता, नस्लभेद व कट्टरता बढ़ने से वे काफी चिंतित हैं। उन्होंने विदेशी छात्रों को निर्वासित करने के ट्रंप प्रशासन के फैसले को संवेदनहीन व संकुचित मानसिकता का नतीजा बताया।


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