Forced labour in China : उइगर मुस्लिमों से जबरन मजदूरी करवा रहा चीन, UN रिपोर्ट में खुलासा
Forced labour in China चीन के शिनजियांग प्रांत में बड़े स्तर पर जबरन मजदूरी कराई जा रही है। इसके जरिये चीन में उइगर कजाख और अन्य तुर्की मूल के लोगों के दमन और खुलेआम उत्पीड़न का भी खुलासा हुआ है।
न्यूयार्क, एएनआइ । चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के साथ भेदभाव और अत्याचार किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक विशेष रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन के इस प्रांत में उइगर मुस्लिमों से जबरन मजदूरी करवाई जा रही है।रिपोर्ट के अनुसार, शिनजियांग प्रांत के उइगर, कजाख और अन्य तुर्क समूहों से अनिवार्य जबरन श्रम प्रणालियों के तहत मजदूरी करवाई जा रही है।
यूएन के एक विशेष दूत ने इसे मानवता के खिलाफ एक जघन्य अपराध करार दिया है। जबकि विश्व उइगर कांग्रेस (डब्ल्यूयूसी) के अध्यक्ष डोलकुन ईसा ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चीनी सरकार अपने लाभ के लिए उइगर समुदाय का शोषण कर रही है। सभी अंतरराष्ट्रीय समूहों को इसके खिलाफ मिलकर आवाज उठानी चाहिए और शिनजियांग प्रांत में बनने वाले उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने चीन में मुस्लिम उइगरों के कथित हिरासत और जबरन श्रम के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है।
विशेषज्ञों ने कहा- उइगर श्रमिकों को कथित तौर पर शोषणकारी कामकाजी और अपमानजनक जीवन स्थितियों के अधीन किया गया है
शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों से जबरन मजदूरी
संयुक्त राष्ट्र (UN) की ओर से कहा गया है कि चीन को अपने रोजगार नियमों और नीतियों को वैश्विक मानकों के हिसाब से करना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट में पहले भी कई बार चीन पर उइगर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगे हैं लेकिन चीन अपने हिसाब से चल रहा है। शिनजियांग में उइगर काफी संख्या में हैं लेकिन चीन की गलत नीतियों के चलते अक्सर उनका दमन किया जाता है। जाति और धर्म के आधार पर अक्सर यहां लोगों को टारगेट किया जाता है। भेदभावपूर्ण व्यवहार की वजह से उइगर खुद को शोषित और दबा कुचला महसूस करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 1964 के रोजगार नीति सम्मेलन के विभिन्न आर्टिकल्स का उल्लंघन किया है। चीन ने इसे 1997 में लागू किया था, जिसमें स्वतंत्र रूप से रोजगार चुनने का अधिकार भी शामिल था। ये कांगो से लेकर अफगानिस्तान तक विभिन्न देशों की लेबर स्टैंडर्ड में प्रगति को देखता है। इसमें बच्चों से मजदूरी, अवसर की समानता, मातृत्व संरक्षण, व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों की जानकारी है।