विश्व के इतिहास में पहली बार भारत दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले देशों की सूची में शामिल
विश्व के इतिहास में पहली बार भारत और चीन दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले चोटी के तीन देशों की सूची में शामिल हो गए हैं। इस सूची में अमेरिका पहले स्थान पर है।
नई दिल्ली। दुनियाभर के देश अपनी सैन्य जरूरतों पर खर्च बढ़ा रहे हैं। भारत ने भी इसमें बढ़ोतरी की है जिसकी वजह से अब वो सैन्य खर्च करने वालों की सूची में तीसरे नंबर पर आ गया है। दूसरे नंबर पर चीन है जिसने अनुमानित 261 अरब डॉलर खर्च किए, जो 2018 में किए गए खर्च से 5.1 प्रतिशत ज्यादा था।
पहला स्थान अमेरिका का है, जिसने अनुमानित 732 अरब डॉलर खर्च किए हैं। साल 2019 में दुनिया भर का सैन्य खर्च 1,900 अरब डॉलर रहा, कुल मिला कर पूरी दुनिया के देशों ने अपनी अपनी सैन्य जरूरतों पर खर्च करने में 2019 में जितनी वृद्धि की, वो पिछले एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी। मीडिया रिपोर्ट और डीडब्ल्यूए वेबसाइट के अऩुसार विश्व के इतिहास में पहली बार भारत और चीन दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले चोटी के तीन देशों की सूची में शामिल हो गए हैं।
सैन्य खर्च की यह रिपोर्ट स्टॉकहॉम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) ने बनाई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब रिपोर्ट में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले तीन देशों में दो देश एशिया के ही हैं। अनुमान है कि 2019 में भारत का सैन्य खर्च लगभग 71 अरब डॉलर रहा, जो 2018 में किए गए खर्च से 6.8 प्रतिशत ज्यादा था। भारत सूची में तीसरे नंबर पर है यह 2018 में अमेरिका द्वारा किए गए खर्च से 5.3 प्रतिशत ज्यादा है और पूरी दुनिये में हुए खर्च के 38 प्रतिशत के बराबर है।
पूरी दुनिया के देशों ने अपनी अपनी सैन्य जरूरतों पर खर्च करने में 2019 में जितनी वृद्धि की वो पिछले एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी। 2019 में सभी देशों ने कुल मिला कर 1,900 अरब डॉलर सैन्य खर्च किए, जो 2018 में किए गए खर्च से 3.6 प्रतिशत अधिक था। 5 सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका, चीन और भारत के बाद रूस और सऊदी अरब का नंबर है। इन पांचों देशों का सैन्य खर्च पूरे विश्व में होने वाले खर्च के 60 प्रतिशत के बराबर है। अन्य देशों में जर्मनी भी शामिल है जिसने 2019 में अपना सैन्य खर्च 10 प्रतिशत बढ़ा कर 49.3 अरब डॉलर कर लिया। सबसे ज्यादा खर्च करने वाले 15 देशों में प्रतिशत के हिसाब से यह सबसे बड़ी वृद्धि है।
सालाना खर्च
स्वीडन की संस्था सिपरी की सालाना रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 में दुनिया भर का सैन्य खर्च 1,900 अरब डॉलर था। पिछले साल के मुकाबले यह खर्च 3.6 प्रतिशत तक बढ़ा है। कुल मिलाकर पूरी दुनिया के देशों ने अपनी अपनी सैन्य जरूरतों पर खर्च करने में 2019 में जितनी वृद्धि की, वो पिछले एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी।
अमेरिका
दुनिया भर के सभी देशों में पहला स्थान अमेरिका का है, जिसने अनुमानित 732 अरब डॉलर खर्च किए। यह 2018 में किए गए खर्च से 5.3 प्रतिशत ज्यादा है और पूरी दुनिया में हुए खर्च के 38 प्रतिशत के बराबर है। 2019 अमेरिका के सैन्य खर्च में वृद्धि का लगातार दूसरा साल रहा। इसके पहले, सात साल तक अमेरिका के सैन्य खर्च में गिरावट देखी गई थी।
चीन
दूसरे स्थान पर है चीन जिसने अनुमानित 261 अरब डॉलर खर्च किए। यह 2018 में किए गए खर्च से 5.1 प्रतिशत ज्यादा था। पिछले 25 सालों में चीन का खर्च उसकी अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ ही बढ़ा है। उसका निवेश उसकी एक "विश्व स्तर की सेना" की महत्वाकांक्षा दर्शाता है। रिसर्चर तिआन का कहना है कि चीन ने खुल कर कहा है कि वो दरअसल एक सैन्य महाशक्ति के रूप में अमेरिका के साथ प्रतियोगिता करना चाहता है।
भारत
तीसरे स्थान पर भारत काबिज है। अनुमान है कि 2019 में भारत का सैन्य खर्च लगभग 71 अरब डॉलर रहा, जो 2018 में किए गए खर्च से 6.8 प्रतिशत ज्यादा था। विश्व के इतिहास में पहली बार भारत और चीन दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले चोटी के तीन देशों की सूची में शामिल हो गए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब रिपोर्ट में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले तीन देशों में दो देश एशिया के ही हैं।
सऊदी अरब
सऊदी अरब ने 61.9 अरब डॉलर खर्च किया। इन पांचों देशों का सैन्य खर्च पूरे विश्व में होने वाले खर्च के 60 प्रतिशत के बराबर है।
जर्मनी
जर्मनी भी इस सूची में शामिल है। जर्मनी ने 2019 में अपना सैन्य खर्च 10 प्रतिशत बढ़ा कर 49.3 अरब डॉलर कर लिया। सबसे ज्यादा खर्च करने वाले 15 देशों में प्रतिशत के हिसाब से यह सबसे बड़ी वृद्धि है। रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार, जर्मनी के सैन्य खर्च में वृद्धि की आंशिक वजह रूस से खतरे की अनुभूति हो सकती है।
रूस
2019 में रूस ने अपना सैन्य खर्च 4.5 प्रतिशत बढ़ा कर 65 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया। ये रूस की जीडीपी का 3.9 प्रतिशत है और सिपरी के रिसर्चर अलेक्सांद्रा कुईमोवा के अनुसार ये यूरोप के सबसे ऊंचे स्तरों में से है।