Move to Jagran APP

फूड एलर्जी नहीं होती खाने से होने वाली हर परेशानी

आपने आसपास अक्सर लोगों को फूड एलर्जी की बात करते सुना होगा। बहुत लोग ऐसे होते हैं, जो कुछ चुनिंदा चीजें नहीं खा पाते।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 09:34 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 09:40 PM (IST)
फूड एलर्जी नहीं होती खाने से होने वाली हर परेशानी
फूड एलर्जी नहीं होती खाने से होने वाली हर परेशानी

द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। आपने आसपास अक्सर लोगों को फूड एलर्जी की बात करते सुना होगा। बहुत लोग ऐसे होते हैं, जो कुछ चुनिंदा चीजें नहीं खा पाते। अगर खाने की कोशिश करें, तो उन्हें बहुत गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ता है। यह एलर्जी दूध से लेकर किसी फल, सब्जी या मसाले से भी हो सकती है। एलर्जी के शिकार व्यक्ति को हमेशा अपने खानपान में हिदायत बरतनी पड़ती है।

loksabha election banner

क्या आप जानते हैं कि किसी खाद्य विशेष के खाने से परेशानी होने का अर्थ हमेशा एलर्जी नहीं होता है? संभव है कि व्यक्ति फूड एलर्जी नहीं, बल्कि फूड इनटॉलरेंस का शिकार हो। फूड इनटॉलरेंस की परेशानी कुछ-कुछ फूड एलर्जी जैसी ही होती है, लेकिन दोनों का असर अलग-अलग होता है। अमेरिकन अकेडमी ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड इम्यूनोलॉजी के मुताबिक, किसी खाद्य पदार्थ को पचाने में मुश्किल होना फूड एलर्जी नहीं, बल्कि फूड इनटॉलरेंस है। इससे व्यक्ति अपने स्तर पर ही निपट सकता है। फूड एलर्जी में इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली की भूमिका रहती है, जबकि फूड इनटॉलरेंस में प्राय: ऐसा नहीं होता।

इनसे होता है फूड इनटॉलरेंस

ब्रिटेन में 10,000 से ज्यादा मरीजों पर अध्ययन के बाद सामने आया कि प्राय: चॉकलेट, खाद्य पदार्थो में मिलाए जाने वाले रसायन (फूड एडिटिव्स), खट्टे फल, मछली, दूध, पनीर, अंडे और सूखे मेवे से लोगों में फूड इनटॉलरेंस देखा जाता है। बुखार, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, खुजली, खराश और पेट दर्द इसके लक्षण हैं। इसके बाद अपनी तरह के सबसे बड़े अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मैसाचुसेट्स के 27 मरीजों के आंकड़ों का अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि करीब 3.6 फीसद लोगों को किसी ना किसी तरह की फूड एलर्जी या फूड इनटॉलरेंस की समस्या थी। इस अध्ययन में भी ब्रिटिश अध्ययन के नतीजों की पुष्टि हुई।

कुछ लक्षणों से हो सकती है पहचान

चॉकलेट या पनीर में पाए जाने वाले टायरामाइन से कुछ लोगों को सिरदर्द होने लगता है। इसी तरह मछलियों में पाए जाने वाले हिस्टामाइन से कुछ लोगों को चक्कर आने या उल्टी की शिकायत रहती है। सूखे फलों में मिलने वाले सल्फाइट और खाने वाले रंगों में पाए जाने वाले टार्टाजाइन कुछ लोगों में अस्थमा को बढ़ावा देते हैं। ये सभी मामले फूड एलर्जी के नहीं बल्कि फूड इनटॉलरेंस के उदाहरण हैं।

अंतर समझना बड़ी चुनौती

अभी शोधकर्ताओं के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह बनी हुई है कि इन दोनों समस्याओं में अंतर कैसे किया जाए। दोनों के लक्षण एक-दूसरे से बहुत मिलते-जुलते हैं। इसलिए इनमें भेद करना मुश्किल होता है। इसके अलावा गाय के दूध जैसे कुछ उत्पाद ऐसे भी हैं, जिनसे फूड इनटॉलरेंस और फूड एलर्जी दोनों समस्याएं हो सकती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.