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2050 तक 3.6 करोड़ लोगों पर बाढ़ का खतरा, समुद्र का जलस्‍तर बढ़ने से मचेगी तबाही

Flood threat to 36 million people by 2050 एक अध्‍ययन में पाया गया है कि 2100 तक समुद्र में जलस्तर बढ़ने के कारण 4.4 करोड़ लोगों के हर साल बाढ़ की चपेट में आने का खतरा होगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 08:34 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 08:46 AM (IST)
2050 तक 3.6 करोड़ लोगों पर बाढ़ का खतरा, समुद्र का जलस्‍तर बढ़ने से मचेगी तबाही
2050 तक 3.6 करोड़ लोगों पर बाढ़ का खतरा, समुद्र का जलस्‍तर बढ़ने से मचेगी तबाही

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती नहीं होने से आने वाले दिनों में स्थिति भयावह होने वाली है। एक अध्‍ययन में पाया गया है कि ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते उत्सर्जन से भारत में साल 2050 तक करीब 3.6 करोड़ लोगों के हर साल बाढ़ की चपेट में आने का खतरा होगा। अध्‍ययन में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से शहरों, अर्थव्यवस्थाओं और तटरेखाओं पर पड़ने वाले असर को दर्शाया गया है।

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वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि 2100 तक समुद्र में जलस्तर बढ़ने के कारण 4.4 करोड़ लोगों के हर साल बाढ़ की चपेट में आने का जोखिम होगा। यही नहीं छह एशियाई देशों - भारत, चीन, वियतनाम, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और थाईलैंड में 2050 तक हर साल तटीय बाढ़ आने का खतरा होगा। अमेरिकी एनजीओ 'क्लाइमेट सेंट्रल' के अध्ययन में कहा गया कि छह एशियाई देशों पर काफी तगड़ी मार पड़ेगी।

अध्‍ययन के नतीजे क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा विकसित नए डिजिटल एलिवेशन मॉडल 'कोस्टल डीईएम' पर आधारित हैं। एनजीओ की रिपोर्ट में कहा गया है 2100 तक दो और देश- जापान और फिलीपींस में भी हर साल बाढ़ आ सकती है जहां 2.2 करोड़ लोगों के इसके जद में आने का खतरा होगा।

जलवायु परिवर्तन की पड़ रही मार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत में इस साल मानसून सत्र के दौरान बारिश और बाढ़ से 22 राज्यों में 25 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि मानसून की अनियमित और भारी बार‍िश से सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 399 लोगों की जान गई। बंगाल में 227, मध्य प्रदेश में 182, बिहार में 166, केरल में 181, गुजरात में 169 कर्नाटक में 106 और असम में 97 मौतें हुई। 

सरकार की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि इस साल भारत के 357 जिले बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित हुए। इस आपदा में 738 लोग घायल हुए और 20,000 पशुओं की जान गई। 1.09 लाख घर पूरी तरह, 2.05 लाख आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए और 14.14 लाख हेक्टेयर में फसलें तबाह हो गईं। बारिश का अनियमित चक्र ऐसा है कि नवंबर शुरू होने को है और बारिश का दौर दक्षिणी भारत में कहर बनकर टूट रहा है। अमूमन, यह ऐसा समय होता है जब मानसून की बारिश नहीं होती है। 


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