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पहले जनरल सुलेमानी अब अल-रिमी, जानिए- इनके मारे जाने का क्‍या है US चुनावी लिंक, ट्रंप को होगा फायदा

अगर सच में ये दोनों अमेरिका के लिए खतरनाक थे तो बड़ा सवाल यह है कि अमेरिकी सेना ने यह कार्रवाई पहले क्‍यों नहीं की। सुलेमानी और आतंकवादी कासिम की मौत 2020 में ही क्‍यों ?

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 01:10 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 01:29 PM (IST)
पहले  जनरल सुलेमानी अब अल-रिमी, जानिए- इनके मारे जाने का क्‍या है US चुनावी लिंक, ट्रंप को होगा फायदा
पहले जनरल सुलेमानी अब अल-रिमी, जानिए- इनके मारे जाने का क्‍या है US चुनावी लिंक, ट्रंप को होगा फायदा

 नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल । अमेरिकी सेना ने दो जनवरी को ईरान के एक जनरल कासिम सुलेमानी की हत्‍या की। ठीक 36 दिन बाद अमेरिकी सेना आतंकवादी कासिम अल-रिमी को मौत के घाट उतार दिया। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्‍या सच में सैन्य कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी और आतंकवादी कासिम अल-रिमी अमेरिका के लिए इतने खतरनाक थे। अगर सच में ये दोनों अमेरिका के लिए खतरनाक थे, तो बड़ा सवाल यह है कि अमेरिकी सेना ने यह कार्रवाई पहले क्‍यों नहीं की। सैन्य कमांडर सुलेमानी और आतंकवादी कासिम की मौत 2020 में ही क्‍यों ? कहीं इस अभियान के पीछे ट्रंप प्रशासन की कुछ और मंशा तो नहीं। सुलेमानी की हत्‍या पर तो विपक्ष ने भी ट्रंप प्रशासन की प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष निंदा की थी। विपक्ष ने ट्रंप प्रशासन की इस आधार पर निंदा की थी इससे ईरान भड़केगा और मध्‍य एशिया में अस्थिरता पैदा होगी। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया था कि यह अमेरिकी सैन्‍य ठिकानों के लिए और अमेरिकी हितों के खिलाफ काम कर रहा था। 

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विदेश नीति की सक्रियता से ट्रंप की पार्टी को मिलेगा लाभ 

प्रोफेसर हर्ष वी पंत (किंग्‍स कॉलेज लंदन) इस बात से इत्‍तेेफाक रखते हैं कि निश्चित रूप से ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का लाभ अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में उनकी पर्टी को मिलेगा। प्रो. पंत का मानना है कि यह ट्रंप का कोई अनूठा प्रयोग नहीं है। इसके पूर्व भी कई अमेरिकी राष्‍ट्रपतियों ने विदेश नीति को अपने पार्टी की बढ़त के लिए हथियार बनाया। उनका मानना है कि राष्‍ट्रपति चुनाव के समय अक्‍सर अमेरिकी विदेश नीति की सक्रियता बढ़ जाती है। इसके पीछे चुनावी प्रयोजन ही होता है। इसके पूर्व भी अन्‍य अमेरिकी राष्‍ट्रपतियों द्वारा यह प्रयोग किया है। पंत इसे अमेरिकी विदेश नीति की सक्रियता कहते हैं। उनका मानना है कि इसके पीछे एक बड़ा प्रयोजन राष्‍ट्रपति चुनाव में बढ़त हासिल करना होता है।

ट्रंप प्रशासन के आदेश के बाद अमेरिकी सेना ने की कार्रवाई 

इन दोनों हत्‍याओं में एक खास समानता है। अमेरिकी सेना ने दोनों की हत्‍या राष्‍ट्रपति ट्रंप के आदेश मिलने के बाद किया। एक और खास बात यह कि सुलेमानी और अल-रिमी की हत्‍या अमेरिकी सैन्‍य मुठभेड़ के दौरान नहीं हुई। इस हत्‍या के लिए बाकायदा ट्रंप प्रशासन की ओर से आदेश जारी किया गया। दोनों हत्‍याओं के बाद खुद राष्‍ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर अमेरिकी सैन्‍य अभियान को दुनिया को सूचित किया। ट्रंप प्रशासन ने साझा किया कि दोनों अमेरिकी सेना और अमेरिकियों के खिलाफ थे। इससे यह संदेश जाता है कि यह किसी सैन्‍य कार्रवाई का हिस्‍सा नहीं बल्कि यह अमेरिकी विदेश नीति का हिस्‍सा है, जिसे सेना ने अंजाम दिया।  

अल-जवाहिरी का करीबी था कासिम

बता देंं कि अमेरिका ने यमन में एक आतंक विरोधी ऑपरेशन में अल कायदा के आतंकी कासिम अल-रिमी को मार गिराने का दावा किया है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देशन में अमेरिका ने यमन में एक आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया, जिसमें अल कायदा के आतंकी कासिम अल-रिमी को मार गिराया गया है। वह अल-कायदा के अरब प्रायद्वीप ईकाई का संस्थापक था। वह अल-कायदा चीफ अयमान अल-जवाहिरी का करीबी था। कासिम अरब प्रायद्वीप में आतंकी संगठन अल कायदा को चला रहा था। अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि रिमी ने यमन में नागरिकों के खिलाफ कई अपराध किए थे और अमेरिका सेना पर भी कई हमले किए थे।

राष्‍ट्रपति ट्रंप के आदेश के बाद सुलेमानी की हत्‍या  

दो जनवरी को ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की कुलीन वर्ग की सेना के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी को इराक में बगदाद हवाई अड्डे पर अमेरिकी हवाई हमले के दौरान मार दिया गया था। अमेरिका के रक्षा विभाग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है राष्ट्रपति के निर्देश पर अमेरिकी सेना ने कासिम सुलेमानी की हत्या करके विदेश में अमेरिकी सैन्य कर्मियों की रक्षा के लिए निर्णायक रक्षात्मक कार्रवाई की है। बता दें कि ईरान के सभी विदेशी गुप्त विशेष अभियानों और प्रॉक्सी युद्धों के लिए सुलेमानी की क़ुद्स फ़ोर्स जिम्मेदार है, कई लोग उसे ईरान में दूसरा सबसे शक्तिशाली व्यक्ति मानते थे।


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