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शातिर वकार हसन का बड़ा कबूलनामा: दंग रह गई US खुफ‍िया एजेंसी, जानें- भारत से लिंक

पाक मूल के अमेरिकी नागरिक वकार के कबूलनामे से एफबीआइ दंग रह गई। यूएस में रहकर उसने जिस तरह से जैश की आर्थिक और आतंकियों की भर्ती प्रक्रिया में मदद की उससे भारत का पक्ष मजबूत हुआ है

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 11:17 AM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 07:37 AM (IST)
शातिर वकार हसन का बड़ा कबूलनामा: दंग रह गई US खुफ‍िया एजेंसी, जानें- भारत से लिंक
शातिर वकार हसन का बड़ा कबूलनामा: दंग रह गई US खुफ‍िया एजेंसी, जानें- भारत से लिंक

वाशिंगटन, जेएनएन। पाकिस्‍तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्‍मद और इस्‍लामिक स्‍टेट (आइएसएसआइ) के संपर्क में रहना वाला 35 वर्षीय पाकिस्‍तानी मूल का अमेरिकी नागरिक को एफबीआइ टीम ने गिरफ्तार किया है। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ ने मंगलवार को उत्तरी कैरोलिना के चार्लोट डगलस इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उसको गिरफ्तार किया है।
बता दें कि दोनों संगठन संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा प्रतिबंधित है। फरवरी में पुलवामा आतंकी हमले के बाद जैश-ए-मुहम्‍मद के प्रमुख मसूद अजहर को एक मई को संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया है। आखिर क्‍या है हसन का कबूलनामा। हसन की इस सच्‍चाई से पाक सकते में क्‍यों आ गया। उसके बयान से भारत के पक्ष को कैसे बल मिला। जी हां, उसके कबूलनामे को सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे।

पाकिस्‍तान मूल के अमेरिकी नागरिक वकार उल-हसन 15 वर्ष की उम्र में अमेरिका चला गया था। अदालती दस्‍तावेजों के अनुसार वर्ष 2014 में संघीय जांच एजेंसी (एफबीआइ) को सूचना मिली कि हसन आतंकवादी संगठनों के संपर्क में है। वर्ष 2014 में उससे पहली बार पूछताछ हुई, लेकिन उसने आतंकवादी संगठनों से संपर्क की बात काे अस्‍वीकार कर दिया। एफबीआइ टीम ने एक वर्ष बाद हसन से दोबारा पूछताछ की त‍ब उसने अपने गुनाह को कबूल कर लिया। उसने दोबारा पूछताछ में यह स्‍वीकार किया वह आतंकी संगठनों के संपर्क में है। उसने स्‍वीकार किया कि वह जैश-ए-मुहम्‍मद व इस्‍लामिक स्‍टेट के संपर्क में था।

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हसन का बड़ा कबूलनामा

  • पूछताछ में हसन ने दोनों आतंकी संगठनों के साथ व्‍यापक संपर्कों को स्‍वीकार किया। उसने जांच एजेंसी को बताया कि दोनों संगठनों के लिए भर्ती प्रक्रिया में मदद करता था। उसने आतंकी संगठनों में भर्ती होने वाले लोगों के फोन नंबरों के आदान-प्रदान की बात स्‍वीाकर किया।
  • उसने दोनों संगठनों की चरमपंथी योजनाओं के बारे में भी बातचीत को स्‍वीकार किया। हसन ने आगे स्‍वीकार किया कि वह 2014 में दो या तीन दिनों तक जैश आतंकवादियों के साथ गुजारा।
  • उसने बताया कि वर्ष 2013 में जैश-ए-मुहम्‍मद के आतंकियों की आर्थिक मदद और भोजन की व्‍यवस्‍था के लिए पाकिस्‍तान की यात्रा की।
  • हसन ने जांच एजेंसी को बताया कि पाकिस्‍तान के स्‍थानीय अखबार में जैश के लिए भर्तियां निकाली गई। हसन ने स्‍वीकार किया कि वह जानता है कि जैश एक आतंकवादी समूह है।
  • अपने कबूलनामे में उसने बताया कि वर्ष 2013 एवं 2014 में गुजरात (पाकिस्‍तान) और उसके आसपास इलाके में जैस मुजाहिदीन के लिए तीन बार पैसा भेजा और उनके लिए भोजन का इंतजाम किया।
  • जैश मुजाहिदीन के साथ रहने के दौरान उन्‍होंने मूझे भारतीय हमले के बारे में जानकारी दी थी। उन्‍होंने आतंकी हमले का एक समाचार वीडियो भी दिखाया।
  • उसने बताया कि इस  बाबत उसने एक अखबार भी निकाला जो जैश मुजाहिदीन की भर्ती और पैसा इकट्ठा करने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता था।
  • उसने बताया कि एफबीआइ से पहली पूछताछ में झूठ बोला था, क्‍योंकि मैं जानता था कि सच बताने से मैं मुसीबत में पड़ सकता है।

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